Chhotanagra Blaze: माओवादियों का खूनी बदला! झारखंड में भाकपा नक्सलियों ने एयरटेल टावर को फूंका, रातभर गूंजे धमाके, ग्रामीण भयभीत, पोस्टर में पुलिस को दी खुली धमकी, 'प्रतिशोध सप्ताह' के बाद 15 अक्टूबर को बंगाल समेत 5 राज्यों में बंद का आह्वान!
बीती रात को छोटानागरा थाना क्षेत्र के बहदा गांव में भाकपा (माओवादी) नक्सलियों ने एक एयरटेल मोबाइल टावर को आग के हवाले कर दिया। पूरे इलाके में धमाकों की आवाजें गूंजती रहीं और ग्रामीण पूरी रात भय के साए में रहे। नक्सलियों ने पोस्टर छोड़कर मारे गए साथियों का बदला लेने की चेतावनी दी है और 5 राज्यों में बंद का आह्वान किया है।
झारखंड में नक्सलवाद और विकास परियोजनाओं के बीच संघर्ष का इतिहास बेहद दर्दनाक रहा है। आधुनिक युग में जब संचार को विकास की जीवन रेखा माना जाता है, तब बीती रात भाकपा (माओवादी) नक्सलियों ने छोटानागरा थाना क्षेत्र के बहदा गांव में एक एयरटेल मोबाइल टावर को निशाना बनाकर विकास पर सीधा हमला किया है। यह घटना न सिर्फ इलाके की कम्युनिकेशन सेवाओं को बाधित करती है, बल्कि यह राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और पुलिस को खुली धमकी देने का एक क्रूर तरीका भी है।
नक्सल इतिहास बताता है कि वे हमेशा से सरकारी और निजी संपत्तियों को निशाना बनाकर डर और अव्यवस्था का माहौल पैदा करते रहे हैं। आज की घटना में करीब दर्जनभर हथियारबंद नक्सलियों ने पूरी रणनीति के साथ ग्रामीणों को डराकर घरों में बंद किया और फिर टावर को आग के हवाले कर दिया।
रातभर गूंजी धमाकों की आवाज, गांव में दहशत
ग्रामीणों के अनुसार, नक्सलियों ने टावर पर लगे पैनल और बैटरी उपकरणों में पेट्रोल डालकर आग लगा दी। देखते ही देखते टावर धधक उठा और पूरे इलाके में आग की लपटें दिखने लगीं।
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उपकरण फटे: आग लगने के बाद टावर के अंदर के संवेदनशील उपकरण जलने और फटने लगे। ग्रामीणों ने बताया कि रात करीब एक बजे तक पूरे क्षेत्र में धमाकों जैसी तेज आवाजें सुनाई दे रहीं थीं।
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बिजली की तारें जलीं: इस वारदात के कारण टावर के आसपास धुआं फैल गया और बिजली की तारें जलकर टूट गईं, जिससे पूरा इलाका अंधेरे और भय के साए में डूब गया।
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कोई नहीं झाँका: वारदात की दहशत इतनी थी कि ग्रामीण पूरी रात अपने घरों में दुबके रहे और किसी ने भी बाहर झांकने की हिम्मत नहीं की।
पोस्टर में पुलिस को खुली धमकी, 5 राज्यों में बंद
नक्सलियों ने सिर्फ टावर नहीं फूंका, बल्कि उन्होंने घटना स्थल पर कई पोस्टर और पर्चे भी छोड़े हैं, जो उनकी रणनीति और बदले की भावना को दर्शाते हैं।
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बदले की चेतावनी: इन पोस्टरों में नक्सलियों ने अपने मारे गए साथियों का बदला लेने की सीधी चेतावनी दी है। यह कार्रवाई उन्हें 'शहीदों' के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
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ऑपरेशन कगार का विरोध: पोस्टर में नक्सलियों ने पुलिस के "ऑपरेशन कगार" के विरोध में 8 से 14 अक्टूबर तक 'प्रतिशोध सप्ताह' मनाने की घोषणा की है और उसी के तहत यह हमला किया है।
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5 राज्यों में बंद: सबसे बड़ी धमकी 15 अक्टूबर को झारखंड, बिहार, उत्तरी छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम समेत पांच राज्यों में बंद करने के आह्वान के रूप में दी गई है।
नक्सलियों के इस दुस्साहसिक कृत्य ने पुलिस और प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। मोबाइल टावर को निशाना बनाना यह दर्शाता है कि माओवादी विकास और सूचना प्रवाह को बाधित करके अपनी पुरानी जड़ों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
आपकी राय में, नक्सल प्रभावित इलाकों में मोबाइल टावर जैसी बुनियादी संरचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और ग्रामीणों को भय के साए से बाहर निकालने के लिए स्थानीय पुलिस और प्रशासन को कौन से दो सबसे अत्याधुनिक और सामुदायिक सुरक्षा उपाय करने चाहिए?
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