BLBC Meeting: चाकुलिया में वित्तीय समावेशन की नई उड़ान, BLBC बैठक में किसानों के लिए बड़ी घोषणाएँ
चाकुलिया और धालभूमगढ़ में BLBC बैठक में बड़ा फैसला! किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सीमा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की गई। जानें, नेशनल लोक अदालत में कैसे निपटाएंगे बकाया ऋण?

05 मार्च 2025 को चाकुलिया प्रखंड सभागार में अपराह्न 12:00 बजे और धालभूमगढ़ प्रखंड सभागार में अपराह्न 03:30 बजे प्रखंड स्तरीय बैंकर्स समिति (BLBC) की महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की गईं। इन बैठकों की अध्यक्षता अग्रणी जिला प्रबंधक (LDM), पूर्वी सिंहभूम ने की, जिसमें प्रखंड विकास पदाधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, विभिन्न बैंकों के शाखा प्रबंधक, पंचायत मुखिया, पंचायत सचिव और अन्य प्रखंड स्तरीय विभागीय प्रतिनिधि उपस्थित थे।
वित्तीय समावेशन पर केंद्रित चर्चा
बैठक का मुख्य उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना, सरकारी ऋण योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करना और ऋण वितरण की प्रगति का मूल्यांकन करना था। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और स्वयं सहायता समूह (SHG) ऋण योजनाओं की उपलब्धियों पर विस्तृत चर्चा की गई।
किसानों के लिए बड़ी राहत: KCC ऋण सीमा में वृद्धि
अग्रणी जिला प्रबंधक ने वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट 2025-26 में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) ऋण हेतु संशोधित ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत ऋण की सीमा को ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख किए जाने की महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। यह कदम किसानों के लिए बड़ी राहत और कृषि क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने वाला साबित होगा।
नेशनल लोक अदालत: ऋण निपटान का सुनहरा अवसर
बैठक के दौरान, 08 मार्च 2025 को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत के संबंध में पंचायत मुखियाओं को अवगत कराया गया। उन्हें ऋण माफी योग्य खातों की सूची प्रदान की गई और अनुरोध किया गया कि वे अधिक से अधिक लोगों को इस बारे में जागरूक करें, ताकि जरूरतमंद लोग इस अवसर का लाभ उठाकर अपने बकाया ऋण का निपटान कर सकें और नए ऋण प्राप्त करने के योग्य बन सकें।
वित्तीय समावेशन: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
वित्तीय समावेशन का विचार भारत में नया नहीं है। स्वतंत्रता के बाद से, सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए कई पहल की हैं। 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद, ग्रामीण शाखाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। हालांकि, 2005 में शुरू की गई 'नो-फ्रिल्स' खाता योजना और 2014 में प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) जैसे कार्यक्रमों ने वित्तीय समावेशन को एक नई दिशा दी।
चाकुलिया और धालभूमगढ़: वित्तीय समावेशन की दिशा में अग्रसर
चाकुलिया और धालभूमगढ़ प्रखंडों में आयोजित इन बैठकों ने वित्तीय समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। स्थानीय नेतृत्व, बैंकिंग संस्थान और समुदाय के प्रतिनिधियों के संयुक्त प्रयास से, इन क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच में सुधार होगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
आगे की राह: सामुदायिक सहभागिता की आवश्यकता
इन पहलों की सफलता समुदाय की सक्रिय सहभागिता पर निर्भर करती है। पंचायत मुखियाओं, सचिवों और अन्य स्थानीय नेताओं की भूमिका इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रत्येक नागरिक तक पहुंचे और वे इनका लाभ उठा सकें।
आर्थिक सशक्तिकरण की ओर एक कदम
चाकुलिया और धालभूमगढ़ प्रखंडों में आयोजित BLBC बैठकों ने वित्तीय समावेशन और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। किसान क्रेडिट कार्ड की ऋण सीमा में वृद्धि और नेशनल लोक अदालत के माध्यम से ऋण निपटान के अवसर जैसे निर्णय ग्रामीण समुदायों के लिए लाभकारी सिद्ध होंगे। स्थानीय नेतृत्व और बैंकिंग संस्थानों के संयुक्त प्रयास से, इन पहलों का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित होगा, जिससे क्षेत्र का समग्र विकास संभव होगा।
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