Chaibasa Blast: नक्सलियों के IED हमले में तीन जवान घायल, बढ़ी सुरक्षा, जानिए पूरी डिटेल
चाईबासा के सारंडा जंगल में IED ब्लास्ट में CRPF के तीन जवान घायल हो गए। इलाके में सुरक्षा बढ़ाई गई, नक्सल विरोधी अभियान तेज। जानिए पूरी खबर।

पश्चिम सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में एक बार फिर नक्सलियों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। बुधवार सुबह हुए IED ब्लास्ट में CRPF 197 बटालियन के तीन जवान घायल हो गए। इनमें से दो जवानों को मामूली चोटें आई हैं, जबकि एक जवान गंभीर रूप से घायल है। घटना के बाद पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।
कैसे हुआ ब्लास्ट?
रिपोर्ट के मुताबिक, यह IED ब्लास्ट उस समय हुआ जब सुरक्षा बल इलाके में सर्च ऑपरेशन चला रहे थे। विस्फोट की चपेट में आने से कंपनी कमांडर जी जे साइ, एक ऑपरेटर और एक जवान घायल हो गए। घायल जवानों को बेहतर इलाज के लिए तुरंत रांची रेफर किया गया है।
सारंडा जंगल: नक्सल गतिविधियों का गढ़
सारंडा जंगल, जो भारत के सबसे बड़े सालवन जंगलों में से एक है, लंबे समय से नक्सल गतिविधियों का केंद्र रहा है। इस इलाके को नक्सलियों का सेफ जोन माना जाता है, जहां वे सुरक्षाबलों पर हमला करने के लिए IED जैसे घातक हथियारों का इस्तेमाल करते हैं। इस क्षेत्र में पहले भी कई बार सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो चुकी है।
सुरक्षाबलों का जवाबी एक्शन, नक्सल डंप किया ध्वस्त
चाईबासा पुलिस और CRPF की टीम लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही है। हाल ही में, टोंटो थाना क्षेत्र के हुसिपी जंगल में सुरक्षाबलों ने एक पुराने नक्सल डंप को ध्वस्त किया था। यह डंप नक्सलियों के छिपे हुए हथियारों और अन्य सामानों का भंडार था, जिसे सुरक्षा बलों ने बरामद कर नष्ट कर दिया।
नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान जारी
चाईबासा में एसपी आशुतोष शेखर के निर्देश पर नक्सल विरोधी अभियान तेज कर दिया गया है। सोमवार को जानकारी मिली थी कि नक्सली संगठन के बड़े नेता अजय महतो और उसके दस्ता सदस्य सारंडा क्षेत्र में सक्रिय हैं। इस सूचना के आधार पर गुवा थाना क्षेत्र के आसपास के जंगलों में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
सुरक्षा बलों की रणनीति और आगे की कार्रवाई
घटना के बाद CRPF और झारखंड पुलिस ने पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में नक्सल प्रभावित इलाकों में और सख्त कार्रवाई की जा सकती है। ड्रोन और आधुनिक निगरानी उपकरणों के जरिए जंगलों की कड़ी निगरानी की जा रही है, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत एक्शन लिया जा सके।
सरकार का क्या है प्लान?
झारखंड सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। हाल ही में सरकार ने घोषणा की थी कि सारंडा जंगल में सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि स्थानीय लोगों को मुख्यधारा में जोड़ा जा सके और नक्सली संगठनों का प्रभाव कम किया जा सके।
क्या स्थानीय लोगों पर है खतरा?
विशेषज्ञों के मुताबिक, नक्सली संगठन अक्सर गांवों में डर और भ्रम फैलाने की कोशिश करते हैं। हालांकि, सरकार और सुरक्षाबलों की पहल के कारण कई ग्रामीण अब मुख्यधारा में लौट रहे हैं और नक्सलवाद का विरोध कर रहे हैं।
चाईबासा में IED ब्लास्ट की यह घटना नक्सली गतिविधियों के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करती है। हालांकि, सुरक्षा बल पूरी सतर्कता के साथ सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं और नक्सलियों के मंसूबों को नाकाम करने में जुटे हैं। आने वाले समय में सरकार और प्रशासन की रणनीति क्या होगी, यह देखने वाली बात होगी।
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