Chaibasa Fire: किसान का पूरा घर राख में बदल गया, लाखों का नुकसान – प्रशासन चुप!
चाईबासा के अंधारी गांव में किसान राजकिशोर हेम्ब्रम के घर में आग लगने से डेढ़ लाख की संपत्ति राख हो गई। मोटर पंप, पाइप और बीज जलकर खत्म, प्रशासन अब तक नदारद।
चाईबासा (झारखंड) – पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुमारडुंगी प्रखंड के अंधारी गांव में रविवार की रात आग की लपटों ने किसान राजकिशोर हेम्ब्रम का सब कुछ तबाह कर दिया। एक साधारण किसान, जो किस्तों पर पंप और पाइप खरीदकर खेती से अपने परिवार का पालन कर रहा था, देखते ही देखते कंगाल हो गया। आग इतनी भीषण थी कि घर में रखा करीब डेढ़ लाख रुपये का सामान राख में तब्दील हो गया।
रात की खामोशी में अचानक उठीं लपटें
घटना रात करीब 11 बजे की है, जब राजकिशोर हेम्ब्रम अपने परिवार के साथ खाना खाकर अपने दूसरे मकान में सो रहा था। तभी गांव के कुछ युवकों ने उसके घर से धुआं और आग की तेज़ लपटें उठती देखीं। उन्होंने तुरंत किसान को खबर दी, लेकिन तब तक सबकुछ जलकर राख हो चुका था।
राजकिशोर ने बताया कि उन्हें आज तक समझ नहीं आया कि आग किस वजह से लगी। शॉर्ट सर्किट या किसी शरारत की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
खेती-बाड़ी करने वाले किसान पर टूटा आर्थिक संकट
राजकिशोर पेशे से किसान हैं और उनका पूरा परिवार खेती पर ही निर्भर है। हाल ही में उन्होंने मोटर पंप और पाइप किस्तों पर लिए थे ताकि खेती को बेहतर बना सकें। लेकिन इस आग ने उनकी मेहनत और उम्मीदों को छीन लिया।
आग में जले सामानों की सूची भी चौंकाने वाली है –
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मोटर पंप
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पांच बंडल पाइप
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5,000 से 10,000 रुपये मूल्य का बीज
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पावर टीलर के पार्ट्स
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दस पीस चौखट और लकड़ी का अन्य सामान
इन सबके नुकसान के बाद अब किसान किस्त कैसे चुकाएंगे और परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे, यह बड़ा सवाल बन गया है।
स्थानीय प्रशासन पर उठे सवाल
किसान ने मामले की जानकारी तुरंत कुमारडुंगी थाना को दी, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई भी पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा था। यह स्थिति ग्रामीणों के बीच गुस्सा और निराशा दोनों पैदा कर रही है।
लोग पूछ रहे हैं – जब एक गरीब किसान सबकुछ खो देता है, तो प्रशासन आखिर कब जागता है? पीड़ित परिवार को अब सरकार से मुआवजा और सहायता की उम्मीद है।
इतिहास गवाह – आग ने कई किसानों की ज़िंदगी तबाह की
अगर इतिहास पर नज़र डालें तो झारखंड के ग्रामीण इलाकों में ऐसी घटनाएं नई नहीं हैं। खेतों में लगी आग, गांव के घरों में लगी रहस्यमयी आग या शॉर्ट सर्किट से लगी भीषण आग – ये सब अक्सर किसानों को कंगाली की ओर धकेल देती हैं।
पिछले दशक में ही पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला और चतरा जिलों में कई किसानों ने ऐसी घटनाओं के बाद अपनी जमीन तक बेच दी थी। आग हमेशा गरीब किसानों के लिए विनाश का प्रतीक रही है और यह घटना उसी कड़ी की एक और दर्दनाक कड़ी बन गई।
गांव में मातम और उम्मीद
अंधारी गांव के लोग इस हादसे से बेहद दुखी हैं। हर कोई किसान राजकिशोर हेम्ब्रम की मदद के लिए आगे आने की बात कर रहा है। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन और सरकार तुरंत मुआवजा नहीं देती, तो किसान परिवार भुखमरी और कर्ज़ के बोझ तले दब जाएगा।
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