2030 तक हर पांचवां व्यक्ति बोलेगा हिंदी: प्रो. संजय द्विवेदी का बड़ा दावा!
प्रो. संजय द्विवेदी ने छिंदवाड़ा में हिंदी दिवस समारोह के दौरान कहा कि 2030 तक दुनिया का हर पांचवां व्यक्ति हिंदी बोलेगा। जानें, कैसे हिंदी को मिलेगी वैश्विक पहचान।
2030 तक दुनिया का हर पांचवां व्यक्ति बोलेगा हिंदी: प्रो. संजय द्विवेदी
भोपाल, 15 सितंबर। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने एक बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि 2030 तक दुनिया का हर पांचवां व्यक्ति हिंदी बोलेगा। उन्होंने इसे भारत की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक बताया। वे छिंदवाड़ा में हिंदी प्रचारिणी समिति द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
इस आयोजन में प्रो. संजय द्विवेदी और साहित्यकार डॉ. मनीषा जैन का विशेष रूप से सम्मान किया गया। समारोह में हिंदी प्रचारिणी समिति के अध्यक्ष शिवकुमार गुप्ता, मंत्री श्याम सुंदर चांडक, डॉ. दिलीप खरे, पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह, भाजपा नेता शैलेन्द्र रघुवंशी, नवनीत व्यास और प्रकाश साव भी मौजूद थे।
हिंदी का अमृतकाल
प्रो. द्विवेदी ने अपने भाषण में कहा कि हिंदी और भारतीय भाषाओं का यह समय "अमृतकाल" है। आज हिंदी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। उन्होंने कहा कि हमारा समाज हमेशा से बहुभाषी रहा है। यही वजह है कि भारतीय भाषाओं के बीच संवाद और समझ लंबे समय से बनी हुई है। भारतीय साहित्य ने इन भाषाओं को एक-दूसरे से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है।
उन्होंने आगे कहा कि हमें औपनिवेशिक सोच से बाहर निकलना होगा। जब हम इस मानसिकता से मुक्त होंगे, तभी भारतीय भाषाओं को सही सम्मान मिल पाएगा। हिंदी को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए हमें गर्व के साथ अपनी भाषा और संस्कृति को अपनाना होगा।
हिंदी प्रचारिणी समिति का योगदान
हिंदी प्रचारिणी समिति, छिंदवाड़ा का यह आयोजन बहुत महत्वपूर्ण था। समिति की स्थापना 1935 में हुई थी और तब से यह हिंदी के प्रचार-प्रसार में जुटी हुई है। पिछले 90 वर्षों से यह संस्था पुस्तकालय, वाचनालय और विद्यालय संचालन जैसी गतिविधियों के माध्यम से हिंदी की सेवा कर रही है। इस समारोह में समिति के योगदान को भी सराहा गया।
प्रो. द्विवेदी के इस भाषण ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आने वाले समय में हिंदी की ताकत और भी बढ़ेगी। यह सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे पूरी दुनिया पहचानने लगी है। समारोह में मौजूद सभी लोगों ने हिंदी की इस बढ़ती लोकप्रियता पर गर्व महसूस किया।
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