Bokaro Elephant Death : हाथी का सरदार कुएं में गिरा, गांव में मची अफरा-तफरी!
बोकारो के गोपो गांव में हाथी का सरदार कुएं में गिरकर मर गया। जानें कैसे अंधेरे और संकरे कुएं में गिरने से उसकी मौत हुई और गांव में मच गई अफरा-तफरी।
बोकारो जिले के गोपो गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जहां एक हाथी का सरदार अपने झुंड के साथ भोजन की तलाश में पहुंचा था, लेकिन अंधेरे में कुएं में गिर जाने के कारण उसकी मौत हो गई। यह घटना गोमिया प्रखंड के महुआटांड़ थाना क्षेत्र स्थित ग्राम गोपो (धवैया) में हुई। आइए जानते हैं इस पूरे मामले के बारे में विस्तार से।
40 हाथियों के झुंड का सरदार मौत के मुंह में!
गुरुवार और शुक्रवार की रात की घटना है जब हाथियों का सरदार अपने साथियों के लिए भोजन की तलाश करते हुए गोपो गांव पहुंचा था। रात के अंधेरे में वह एक सूखे और संकरे कुएं में गिर गया। कुएं में गिरने के कारण हाथी अंदर फंस गया और उसे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला, जिसके कारण उसकी दुखद मौत हो गई।
कुएं में गिरने का कारण अंधेरा और संकरे रास्ते थे
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने बताया कि कुआं संकरा था और सूखा होने की वजह से हाथी उसमें पूरी तरह से फंस गया। अंधेरे में वह कुएं को देख नहीं पाया और सीधे मुंह के बल गिर गया। कुएं के पास भारी भीड़ जमा हो गई और स्थानीय लोगों ने पुलिस और वन विभाग को सूचना दी। इसके बाद शव को बाहर निकालने के लिए क्रेन मंगवाया गया।
मृत हाथी का था 40 हाथियों के झुंड का सरदार
मृत हाथी का झुंड में विशेष स्थान था, क्योंकि वह 40 हाथियों के समूह का सरदार था। वनकर्मी विजय कुमार गुप्ता के अनुसार, यह हाथी अपने झुंड से पहले गांव में भोजन की तलाश में पहुंचा था। इस घटना ने गांव के लोगों को एक बड़े झटका दिया, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ था जब हाथी के झुंड में से कोई इस तरह से मारा गया हो।
ग्रामीणों के लिए नुकसान और भय का कारण बनी यह घटना
इस घटना से गांव में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। जहां एक ओर हाथी की मौत ने सबको दुखी कर दिया, वहीं दूसरी ओर रतिलाल महतो की सब्जी की फसलों को भी नुकसान हुआ था। हाथी ने उनकी बारी में लगी सब्जी के कई प्रकार के पौधों को रौंद डाला, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी हुआ।
मुखिया तेजलाल महतो पहुंचे घटना स्थल पर
घटना के बाद गांव के मुखिया तेजलाल महतो भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। हाथी की मौत से गांव में कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोग इसे वन्यजीवों और मानव समुदाय के बीच बढ़ते संघर्ष का परिणाम मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे प्रकृति के एक अप्रत्याशित हादसे के रूप में देख रहे हैं।
आगे की कार्रवाई
इस घटना ने गांव में वन्यजीवों से जुड़ी सुरक्षा और मानव जीवन को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। वन विभाग अब यह जांच कर रहा है कि क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है और स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
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