Jamshedpur Coin: भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जारी हुआ खास सिक्का!
भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर 150 रुपये का चांदी का सिक्का जारी किया गया। जानिए उनकी संघर्षगाथा और यह ऐतिहासिक सिक्का कब और कहां प्रदर्शित होगा।

जमशेदपुर: भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर मुंबई टकसाल द्वारा 150 रुपये का विशेष चांदी का सिक्का जारी किया गया है। यह सिक्का सिक्का संग्रहकर्ता क्लब, जमशेदपुर के महासचिव और प्रसिद्ध सिक्का विशेषज्ञ प्रेम पीयूष कुमार की जानकारी के अनुसार जल्द ही जमशेदपुर के सिक्का संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा। 40 ग्राम वजनी यह चांदी का सिक्का बिरसा मुंडा के योगदान और उनकी विरासत को सम्मान देने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
बिरसा मुंडा: ‘धरती बाबा’ से भगवान बनने की यात्रा
15 नवंबर 1875 को रांची जिले के उलिहातु गांव में जन्मे बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के लिए किसी देवता से कम नहीं हैं। बचपन से ही उन्होंने अंग्रेजों के अत्याचार, कर प्रणाली की शोषणकारी नीति और आदिवासियों के अधिकारों के हनन को देखा। अंग्रेजों ने जंगलों पर कड़े कानून लागू किए, जिससे आदिवासी समुदाय की पारंपरिक जीवनशैली बाधित हुई। 1867 में कृषि पर प्रतिबंध लगाकर अंग्रेजों ने उनकी आजीविका को भी संकट में डाल दिया।
मुंडा विद्रोह: अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल
बिरसा मुंडा ने 1894 में अंग्रेजों के खिलाफ कर माफी आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर दो साल की सजा सुनाई गई। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अकाल से पीड़ित लोगों की सहायता की, जिससे उन्हें 'धरती बाबा' कहा जाने लगा। उनका प्रभाव इतना बढ़ गया कि 1898 में मुंडाओं और ब्रिटिश सेना के बीच तांगा नदी के किनारे संघर्ष हुआ, जिसमें ब्रिटिश सेना को प्रारंभिक हार का सामना करना पड़ा।
जनवरी 1900 में डोमबाड़ी पहाड़ी पर हुए संघर्ष में कई आदिवासी शहीद हुए, लेकिन बिरसा मुंडा का संघर्ष जारी रहा। 3 फरवरी 1900 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 9 जून 1900 को रांची जेल में 25 वर्ष की छोटी उम्र में उनका निधन हो गया।
भगवान बिरसा मुंडा की विरासत
आज भी झारखंड, बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है। उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए यह विशेष सिक्का जारी किया गया है, जो उनकी महानता और योगदान को अमर बनाए रखेगा।
जमशेदपुर सिक्का संग्रहालय में होगा प्रदर्शन
यह ऐतिहासिक सिक्का जल्द ही झारखंड के पहले और एकमात्र सिक्का संग्रहालय, जमशेदपुर में प्रदर्शित किया जाएगा। सिक्का संग्रहकर्ता क्लब द्वारा संचालित इस संग्रहालय में ऐसे दुर्लभ सिक्कों को संरक्षित किया जाता है, जो भारत के गौरवशाली इतिहास को दर्शाते हैं।
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