Bihar Expansion: 22 नए मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सौगात, जानें कब शुरू होंगे एडमिशन!
बिहार में 22 नए मेडिकल कॉलेज अस्पताल बनने जा रहे हैं! जानें किन जिलों में बनेंगे, कितनी बढ़ेंगी MBBS सीटें और हेल्थकेयर सिस्टम में क्या बदलाव आएंगे?

बिहार की स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा बदलाव आने वाला है। राज्य में 22 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल बनने जा रहे हैं, जिससे MBBS की सीटों और अस्पतालों में बेड की संख्या में भारी इजाफा होगा। यह घोषणा स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने अपने बजट भाषण में की, जिसके बाद बिहार के मेडिकल छात्रों और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद कर रहे लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है।
लेकिन बड़ा सवाल यह है—कब तक पूरा होगा यह प्रोजेक्ट? किन जिलों में खुलेंगे नए मेडिकल कॉलेज? और क्या इससे बिहार के हेल्थकेयर सिस्टम में कोई क्रांतिकारी बदलाव आएगा? आइए जानते हैं पूरी रिपोर्ट—
बिहार में मेडिकल कॉलेजों की मौजूदा स्थिति
फिलहाल बिहार में—
12 सरकारी मेडिकल कॉलेज और 9 निजी मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं।
सरकारी कॉलेजों में 1520 MBBS सीटें हैं, जबकि निजी कॉलेजों में 1350 सीटें उपलब्ध हैं।
सरकारी अस्पतालों में 11,162 बेड, जबकि निजी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 7,822 बेड हैं।
22 नए मेडिकल कॉलेज: क्या बदलेगा?
बिहार सरकार के नए प्लान के तहत—
22 नए मेडिकल कॉलेज बनने के बाद MBBS सीटों की संख्या 5,220 हो जाएगी।
बेड की संख्या भी 28,884 तक पहुंच जाएगी।
सरकारी मेडिकल कॉलेजों की कुल संख्या 34 हो जाएगी।
किन जिलों में बन रहे हैं नए मेडिकल कॉलेज?
5 जिलों में मेडिकल कॉलेज तैयार होकर उद्घाटन हो चुका है—
पूर्णिया
बेतिया
मधेपुरा
समस्तीपुर
सारण
10 जिलों में मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य जारी है—
सीतामढ़ी
झंझारपुर
सिवान
बक्सर
जमुई
बेगूसराय
वैशाली
मुंगेर
सुपौल
आरा
3 जिलों में मेडिकल कॉलेजों के प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है—
मोतिहारी
गोपालगंज
सहरसा
7 जिलों में मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है—
बांका
अररिया
खगड़िया
औरंगाबाद
कैमूर
नवादा
जहानाबाद
इन सभी जिलों में जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा और अगले कुछ वर्षों में बिहार का हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह बदल जाएगा।
क्या इससे बिहार में हेल्थकेयर क्रांति आएगी?
बिहार की स्वास्थ्य सुविधाएं हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही हैं। राज्य के कई जिलों में आधुनिक मेडिकल सुविधाओं की कमी रही है। ऐसे में नए मेडिकल कॉलेजों के बनने से—
चिकित्सा शिक्षा का विस्तार होगा।
राज्य के छात्रों को MBBS के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत होंगी।
देश का सबसे बड़ा हड्डी रोग अस्पताल भी तैयार!
बिहार में लोकनायक जयप्रकाश नारायण हड्डी रोग अस्पताल को 400 बेड के सुपर स्पेशियलिटी सेंटर में बदला जा रहा है। इसमें स्पोर्ट्स इंज्यूरी यूनिट भी होगी, जिसकी कुल लागत 215 करोड़ रुपये है।
इस अस्पताल के बनने के बाद यह देश का सबसे बड़ा ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल बन जाएगा, जिससे बिहार ही नहीं, बल्कि देशभर से मरीजों को फायदा मिलेगा।
3 नए ट्रॉमा सेंटर भी बनेंगे!
पटना (विक्रम)
कैमूर (मोहनिया)
औरंगाबाद (करहरा)
राजमार्गों पर बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए इन ट्रॉमा सेंटरों का निर्माण प्राथमिकता में किया गया है। इसके अलावा जच्चा-बच्चा के लिए स्पेशल एंबुलेंस सर्विस भी शुरू की जाएगी।
कब शुरू होंगे एडमिशन?
सरकार का दावा है कि अगले 3 से 5 वर्षों में यह सभी मेडिकल कॉलेज काम करने लगेंगे। यानी कि MBBS के इच्छुक छात्रों को जल्द ही इन कॉलेजों में दाखिला मिलने लगेगा।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार इन मेडिकल कॉलेजों को समय पर पूरा कर पाएगी? क्योंकि बिहार में पहले भी कई बड़े प्रोजेक्ट्स देरी का शिकार हो चुके हैं।
बिहार सरकार के इस कदम से राज्य के हेल्थकेयर सिस्टम में सुधार की उम्मीद है। लेकिन असली परीक्षा होगी इन अस्पतालों और कॉलेजों को समय पर पूरा करना और उन्हें कुशल डॉक्टरों से लैस करना।
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