Betla: एकल शिक्षक पर निर्भर स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित

बेतला क्षेत्र में चार प्राइमरी स्कूल एकल शिक्षक पर निर्भर हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जानें कैसे शिक्षक की कमी बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल रही है।

Nov 26, 2024 - 13:21
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Betla: एकल शिक्षक पर निर्भर स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित
Betla: एकल शिक्षक पर निर्भर स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित

बेतला (Betla): बेतला क्षेत्र के चार प्राइमरी स्कूलों में एकल शिक्षक के भरोसे शिक्षा चल रही है, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर गंभीर असर पड़ रहा है। इन स्कूलों में केवल एक शिक्षक होने के कारण, शिक्षक का अधिकांश समय विभागीय कामों में व्यतीत होता है, और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना मुश्किल हो गया है।

लालीमाटी टोला, सरईडीह, टंडियाही टोला कुटमू, अखरा और पोखरीखूर्द जैसे गांवों में चल रहे इन स्कूलों में नामांकित छात्रों की संख्या लगभग 100 के आसपास है। इन स्कूलों में शिक्षक की कमी के कारण छात्रों को शिक्षा का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है।

शिक्षकों की व्यस्तता और छात्रों की अनदेखी:

इन प्राइमरी स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है, जो अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए स्कूल के द्वार पर खड़ा होता है। हालांकि, विभागीय कार्यों में व्यस्त होने के कारण उसे पूरी पढ़ाई पर ध्यान देना संभव नहीं हो पाता। अधिकतर समय उसे रिपोर्ट तैयार करने, विभागीय कार्यों को निपटाने और बाहर जाने में गुजर जाता है। यही कारण है कि बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है

जब शिक्षक स्कूल में नहीं होते हैं, तो बच्चों के बीच उच्शृंखलता और अराजकता का माहौल बन जाता है। स्कूल में कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है। यही स्थिति पूरे बेतला क्षेत्र के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है।

शिक्षक की कमी: क्या कहना है जिम्मेदारों का?

इन स्कूलों के प्रभारी हेडमास्टर ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। अनिल प्रसाद, जनेश्वर सिंह, प्रकाश कुजूर और तारकेश्वर यादव जैसे हेडमास्टर्स ने बताया कि शिक्षक की कमी से कोई इंकार नहीं कर सकता। हालांकि, उन्हें विभागीय आदेशों का पालन करना उनकी विवशता है, जो उनके लिए एक कठिन चुनौती बन गई है।

बरवाडीह के बीईईओ नागेंद्र प्रसाद सिंह ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा, “यह सिर्फ बीआरसी का नहीं, बल्कि पूरे जिले का मुद्दा है। शिक्षकों की घोर कमी है, और जब तक पर्याप्त शिक्षक नहीं नियुक्त किए जाते, तब तक हमें सीमित संसाधनों में ही अपनी जिम्मेदारियां निभानी पड़ रही हैं।”

शिक्षा का संकट: क्या किया जा सकता है?

प्राइमरी शिक्षा के इस संकट को देखना न केवल बेतला क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे जिले के लिए एक सुनियोजित योजना की मांग करता है। अगर यह समस्या समय रहते हल नहीं हुई तो बच्चों के भविष्य को एक बड़ा खतरा हो सकता है।

इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि विभागीय कामों के साथ-साथ शिक्षकों को भी बच्चों की शिक्षा पर अधिक ध्यान देने का मौका मिले। बिना पर्याप्त शिक्षकों के, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना एक दूरी की बात बन सकती है।

आगे का रास्ता:

इस स्थिति से निपटने के लिए शासन और प्रशासन को नए कदम उठाने होंगे, ताकि शिक्षक की कमी को पूरा किया जा सके और शिक्षा के स्तर को ऊंचा किया जा सके। यही नहीं, कक्षा के वातावरण में सुधार और कक्षा की नियमितता बनाए रखने के लिए हर स्कूल में कम से कम दो शिक्षक की व्यवस्था होनी चाहिए।

शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सामाजिक संगठनों और स्थानीय समुदायों को भी मिलकर काम करना होगा। इससे न केवल शिक्षक की कमी पूरी होगी, बल्कि छात्रों को सम्पूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा।

बेतला क्षेत्र में एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे स्कूलों की स्थिति गंभीर है, और अगर इसे समय रहते नहीं सुधारा गया तो यह कई बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। शिक्षक और छात्रों के बीच संवाद और अच्छे शिक्षा संसाधनों की उपलब्धता से ही इस संकट का हल निकाला जा सकता है।

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