अकेलापन - योगेश आर साहू , महाराष्ट्र
अकेलापन
इतना मेरी आँखों मे कोई देखता नही
डुबना हो जिसे वो कभी सोचता नही
चलना है मेरे साथ मेरा हाथ पकड ले
प्यार करने वाले को कोई टोकता नही
जाना नही पड़ेगा कहीं खुद मे देख ले
अंदर छुपे अहम को कोई देखता नही
मिल जायेगी परछाईयां भी साथ चला कर
यूँ मुझसे जुदा रहकर तेरा दम घुटता नही
जीना है तो बन जाओ किसी नोट की तरह
कागज़ की कतरनों को कोई पूछता नही
योगेश रामदुलार शाहु
नागपुर महाराष्ट्र
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