Adityapur Protest: इंडस्ट्रियल एरिया में अतिक्रमण हटाने पर बवाल, युवाओं ने रोका बुलडोजर

आदित्यपुर में जियाडा के अतिक्रमण हटाओ अभियान का स्थानीय युवाओं ने किया विरोध। जानिए क्या है इस विवाद की जड़ और क्या हो सकता है समाधान।

Jan 20, 2025 - 13:37
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Adityapur Protest: इंडस्ट्रियल एरिया में अतिक्रमण हटाने पर बवाल, युवाओं ने रोका बुलडोजर
Adityapur Protest: इंडस्ट्रियल एरिया में अतिक्रमण हटाने पर बवाल, युवाओं ने रोका बुलडोजर

जमशेदपुर के पास आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में जियाडा (झारखंड इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) के अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर भारी विरोध हुआ। सोमवार को जैसे ही जियाडा की टीम सुधा डेयरी मोड़ पहुंची, स्थानीय युवाओं ने बुलडोजर का रास्ता रोक दिया। इस विरोध को देखते हुए जियाडा को अपना अभियान तत्काल रोकना पड़ा।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

जियाडा पिछले हफ्ते से इंडस्ट्रियल एरिया में हुए अतिक्रमण को हटाने की मुहिम चला रही है। इस कार्रवाई के तहत अब तक कई दुकानों को हटाया जा चुका है। लेकिन सोमवार को स्थिति तब बिगड़ गई जब सुधा डेयरी मोड़ के पास बुलडोजर पहुंचा। युवा नेता रविंद्र बास्के और राम हांसदा अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे और बुलडोजर का रास्ता रोक दिया।

युवाओं का विरोध क्यों?

युवा नेताओं का कहना है कि उनके पूर्वजों ने उद्योग लगाने के लिए अपनी जमीनें दी थीं। आज, जब वे थोड़ी बहुत जमीन पर दुकान लगाकर रोजी-रोटी कमा रहे हैं, तो उन्हें उजाड़ा जा रहा है।
रविंद्र बास्के ने कहा, "यह कदम न केवल बेरोजगारी बढ़ाएगा, बल्कि सामाजिक असंतुलन भी पैदा करेगा। जियाडा को यह कार्रवाई तुरंत रोकनी चाहिए।"

जियाडा का पक्ष

जियाडा का तर्क है कि इंडस्ट्रियल एरिया में अवैध अतिक्रमण बढ़ रहा है, जिससे उद्योगों के लिए जगह कम हो रही है। जियाडा के एक अधिकारी ने बताया कि यह अभियान नियमानुसार चलाया जा रहा है और इसकी जानकारी पहले ही दे दी गई थी।

इतिहास में झांकें

आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया झारखंड के सबसे पुराने औद्योगिक क्षेत्रों में से एक है। 1970 के दशक में यहां औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। स्थानीय निवासियों ने अपनी जमीनें देकर उद्योगों के लिए जगह बनाई। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, कई उद्योग बंद हो गए और स्थानीय लोगों ने जीविकोपार्जन के लिए इन जमीनों पर दुकानें खोल लीं।

क्या हैं युवाओं की मांगें?

युवा नेता राम हांसदा ने कहा, "जियाडा को बंद पड़ी कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए। फुटपाथ पर दुकानें लगाने वाले गरीब आदिवासियों को उजाड़ने की बजाय रोजगार के अवसर बढ़ाने पर काम करना चाहिए।"
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने यह अभियान नहीं रोका तो व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

समस्या का समाधान क्या हो सकता है?

  1. संवाद का रास्ता: जियाडा को स्थानीय निवासियों और दुकानदारों के साथ बातचीत करनी चाहिए।
  2. वैकल्पिक जगह: दुकानदारों को उचित जगह पर शिफ्ट करने की योजना बनाई जाए।
  3. बंद उद्योगों का पुनरुद्धार: जियाडा को बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू करने पर ध्यान देना चाहिए।

स्थानीयों की पीड़ा

स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि फुटपाथ पर दुकानें लगाकर वे अपने परिवार का पेट पालते हैं। अगर उन्हें यहां से हटाया गया तो उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं रहेगा।

आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में चल रहा यह विरोध केवल अतिक्रमण का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह उन गरीब और वंचित लोगों की आवाज है जो अपनी आजीविका बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जियाडा को एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा ताकि विकास और रोजगार दोनों को समान रूप से बढ़ावा मिल सके।

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