Adityapur Attack: बीच सड़क पिटाई और जमानत पर छूटे आरोपी, पीड़ित ने उठाए न्याय पर सवाल
आदित्यपुर में दवा लेने पहुंचे युवक पर हमला, आरोपी जमानत पर छूटे। पीड़ित का सवाल- आखिर कानून से इंसाफ की उम्मीद कैसे करें? जानें पूरा मामला।
आदित्यपुर: झारखंड के आदित्यपुर इलाके में बुधवार देर रात हुई एक घटना ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हरिओम नगर में अपने रिश्तेदार के घर आए युवक अंकित मुखर्जी उर्फ राहुल पर तीन युवकों ने हमला कर उसे घायल कर दिया। इस हमले ने न केवल पीड़ित और उसके परिजनों को डराया बल्कि कानून की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए।
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित युवक अंकित मुखर्जी, जो मूल रूप से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बड़ा बाजार का रहने वाला है, बुधवार रात करीब 9 बजे आदित्यपुर के सैनी मेडिकल में दवा लेने गया था। इसी दौरान, एक तेज रफ्तार बाइक पर सवार युवक ने उसे धक्का मारते हुए रोका। जब अंकित ने इसका विरोध किया, तो गाली-गलौज और मारपीट शुरू हो गई।
युवक ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। लेकिन इस बीच, बाइक सवार ने अपने दो अन्य साथियों को बुला लिया, जिनमें एक उसका भाई और दूसरा दोस्त था। तीनों ने मिलकर अंकित की बेरहमी से पिटाई कर दी।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
घटना की सूचना पर पहुंची पीसीआर वैन ने एक आरोपी को मौके से हिरासत में ले लिया। पकड़े गए युवक ने अपने भाई का नाम अफरोज और दोस्त का नाम मुन्ना बताया। लेकिन मुख्य आरोपी अफरोज और मुन्ना मौके से फरार हो गए।
पुलिस ने बाद में दोनों फरार आरोपियों को पकड़ लिया, लेकिन गुरुवार को उन्हें थाने से ही जमानत दे दी गई। थाना प्रभारी ने बताया कि एफआईआर में दर्ज धाराओं के तहत सात साल से कम की सजा का प्रावधान है, इसलिए मजबूरी में उन्हें जमानत देनी पड़ी।
पीड़ित ने उठाए गंभीर सवाल
अंकित मुखर्जी ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा,
"जब पुलिस ने आरोपियों को पकड़ लिया था, तो कम से कम उन्हें मेरे सामने लाना चाहिए था। मुझे पता चल पाता कि मैंने ऐसा क्या गलत किया, जिसके लिए मुझे सड़क पर इतनी बेरहमी से पीटा गया।"
अंकित ने आगे कहा कि अगर कानून के तहत आरोपी इस तरह आसानी से छूट जाते हैं, तो आम जनता न्याय की उम्मीद किससे करे?
इलाज के लिए भटकता रहा पीड़ित
हमले के बाद पुलिस ने अंकित को इलाज के लिए गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे एमजीएम अस्पताल रेफर किया गया। दिनभर वह अस्पताल से अस्पताल भटकता रहा, लेकिन न्याय की उम्मीद धूमिल होती नजर आई।
कानून की खामियां और इंसाफ की चुनौती
इस घटना ने एक बार फिर कानून की खामियों को उजागर कर दिया है। जब आरोपी पुलिस की हिरासत से आसानी से जमानत पर छूट जाते हैं, तो पीड़ितों की सुरक्षा और न्याय का भरोसा टूटता है।
इतिहास: आदित्यपुर और अपराध
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ अपराध के मामलों में भी चर्चा में रहा है। यहां कानून व्यवस्था पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर पुलिस और न्यायिक प्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
क्या हो सकता है समाधान?
- सख्त धाराएं लगाई जाएं: ऐसे मामलों में पुलिस को गंभीर धाराएं लगानी चाहिए ताकि आरोपी आसानी से जमानत पर न छूट सकें।
- पीड़ितों की सुरक्षा: पुलिस को पीड़ित और उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
- कानूनी जागरूकता: आम जनता को उनके अधिकारों और कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी होनी चाहिए।
आदित्यपुर की इस घटना ने कानून और न्याय व्यवस्था पर गहरी चोट की है। क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा? या आरोपी इसी तरह कानून की खामियों का फायदा उठाकर बचते रहेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
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