West Singhbhum: छात्रों की नाराजगी! कोल्हान विवि प्रशासन पर लगा गुमराह करने का आरोप, सीटें बढ़ाने की मांग
कोल्हान विश्वविद्यालय में नामांकन से वंचित छात्रों ने कुलसचिव और डीएसडब्ल्यू पर आरोप लगाया है। जानें, छात्रों ने क्यों बढ़ाई सीटों की मांग और क्या है मामला!
कोल्हान विश्वविद्यालय, जो कोल्हान क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा का एक बड़ा केंद्र है, इन दिनों छात्रों के विरोध का सामना कर रहा है। पश्चिम सिंहभूम जिले के छात्र और पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सनातन पिंगुवा ने कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव और डीएसडब्ल्यू पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को नामांकन से वंचित रखा है और उन्हें गुमराह किया जा रहा है। अब छात्रों ने सभी विभागों में सीटें बढ़ाकर नामांकन करने की मांग की है।
संकट में छात्र, प्रशासन से गुमराह होते रहे
सनातन पिंगुवा, जो पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और जेसीएम जिलाध्यक्ष भी हैं, ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय उन्हें सिर्फ इधर-उधर गुमराह कर रहा है। पिंगुवा ने बताया कि पीजी सेमेस्टर एक में छात्रों का नामांकन चल रहा है, लेकिन बहुत सारे विद्यार्थी इस प्रक्रिया से वंचित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, "हमने कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव और डीएसडब्ल्यू से मुलाकात की, लेकिन दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। कुलसचिव ने हमें डीएसडब्ल्यू से मिलने की सलाह दी, वहीं डीएसडब्ल्यू ने कुलसचिव से मिलकर समस्या हल करने की बात की। इस तरह से छात्रों की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है।"
क्या है छात्रों की मुख्य मांग?
पिंगुवा और अन्य छात्रों का कहना है कि कोल्हान विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य था कि कोल्हान के ग्रामीण इलाकों के गरीब विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा मिल सके और उनका भविष्य संवर सके। लेकिन जब पीजी नामांकन के दौरान उन ही विद्यार्थियों को बाहर रखा जा रहा है, तो यह पूरे उद्देश्य का मजाक उड़ाने जैसा है।
घनश्याम हेंब्रम, एक अन्य पूर्व छात्रसंघ प्रतिनिधि ने कहा कि “विभिन्न विभागों में सीटें बढ़ानी चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्रों को नामांकन मिल सके। अब यह सहन नहीं किया जाएगा कि विभागाध्यक्ष छात्रों के साथ भेदभाव करें।"
स्थानीय छात्रों की निराशा
इसके अलावा, दीपेश बिरुआ, जो टाटा कॉलेज के पूर्व छात्र हैं, ने भी नाराजगी जाहिर की और कहा, “यह बहुत दुख की बात है कि स्थानीय ग्रामीणों की ज़मीन पर बनने वाले विश्वविद्यालय में उनके ही बच्चों को नामांकन से वंचित किया जा रहा है। क्या यही वे उद्देश्य थे जिनके तहत यह विश्वविद्यालय स्थापित हुआ था?"
यहां पर मुख्य रूप से हिंदी, भूगोल, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीतिक विज्ञान, ‘हो’ टीआरएल, और इंग्लिश विषयों के छात्र नामांकन से वंचित हो रहे हैं। इस कारण छात्र समुदाय में गहरी निराशा है।
क्या है अगले कदम?
अब छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन से स्पष्ट तौर पर मांग की है कि नामांकन प्रक्रिया को तुरंत ठीक किया जाए और सीटों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी अपना नामांकन करा सकें। अगर प्रशासन ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया, तो छात्र प्रतिनिधि धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दे रहे हैं।
पिंगुवा और हेंब्रम दोनों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही नामांकन की प्रक्रिया में सुधार नहीं किया गया, तो वे संघर्ष जारी रखेंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी कोल्हान विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
कोल्हान विश्वविद्यालय की स्थापना और छात्रों की उम्मीदें
कोल्हान विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को उच्च शिक्षा की दिशा में मार्गदर्शन देना था। यह विश्वविद्यालय उन विद्यार्थियों के लिए मूलभूत शिक्षा का केंद्र बना था, जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। लेकिन अब नामांकन से वंचित छात्रों का यह मुद्दा विश्वविद्यालय की छवि पर सवालिया निशान लगा रहा है।
आखिरकार, क्या होगा समाधान?
अब यह देखना होगा कि कोल्हान विश्वविद्यालय प्रशासन इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया करता है। क्या विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की मांगों को मानते हुए सीटों की संख्या बढ़ाता है, या फिर यह मुद्दा और भी गंभीर रूप लेता है?
क्या आप भी मानते हैं कि कोल्हान विश्वविद्यालय के नामांकन प्रक्रिया में सुधार होना चाहिए? अपने विचार हमें जरूर बताएं और इस मुद्दे पर छात्रों की मदद करें।
कोल्हान विश्वविद्यालय में पीजी नामांकन से वंचित हो रहे छात्रों की मांग अब तेज हो गई है। कुलसचिव और डीएसडब्ल्यू पर गुमराह करने के आरोप लगाने वाले छात्र अब सीटें बढ़ाने और अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं। क्या विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की मांगों को समझेगा और इस दिशा में कदम उठाएगा?
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