Traffic Fire Hazaribagh : जीटी रोड पर कंटेनर-ट्रक की टक्कर से मची तबाही, दनुआ घाटी में रातभर मचा हड़कंप
हजारीबाग के दनुआ घाटी में जीटी रोड पर कंटेनर और ट्रक की टक्कर के बाद लगी भीषण आग से अफरातफरी मच गई। पुलिस और फायर ब्रिगेड की तत्परता से बड़ा हादसा टल गया, जानें पूरी कहानी।

हजारीबाग : झारखंड का हजारीबाग जिला हमेशा से राष्ट्रीय राजमार्ग जीटी रोड (Grand Trunk Road) के लिए जाना जाता है। यह सड़क उत्तर भारत से लेकर पूर्व भारत तक का सबसे अहम मार्ग मानी जाती है। लेकिन शनिवार की भोर ढाई बजे इस जीटी रोड पर ऐसा हादसा हुआ, जिसने न सिर्फ यातायात को थाम दिया बल्कि दनुआ घाटी के लोगों को दहशत में डाल दिया।
जानकारी के मुताबिक, दनुआ घाटी से गुजर रहे एक बड़े कंटेनर में अचानक आग लग गई। चालक ने वाहन को रोककर साइड लेने की कोशिश की ही थी कि तभी पीछे से आ रहे एक ट्रक ने कंटेनर में जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि दोनों वाहन देखते ही देखते आग की लपटों में घिर गए। रात का सन्नाटा अचानक चीख-पुकार और आग की भयानक लपटों से दहल उठा।
पुलिस और फायर ब्रिगेड की फुर्ती
जैसे ही हादसे की खबर मिली, चौपारण थाना प्रभारी सरोज सिंह चौधरी, एएसआई बादल महतो और उनकी टीम मौके पर पहुंच गई। सबसे पहले पुलिस ने चालक को सुरक्षित बाहर निकाला। यह पुलिस की तत्परता ही थी कि इतनी बड़ी दुर्घटना के बावजूद कोई जनहानि नहीं हुई। थोड़ी ही देर में अग्निशमन विभाग की टीम भी पहुंची और कई घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
लेकिन तब तक दोनों गाड़ियां पूरी तरह जलकर खाक हो चुकी थीं। ट्रकों में लदे सामान भी राख हो गए। मौके पर खड़े लोग सिर्फ यह नजारा देख रहे थे कि कैसे लोहे के ढांचे आग में पिघलते जा रहे थे।
इतिहास से जुड़ी दनुआ घाटी की खतरनाक पहचान
दनुआ घाटी, हजारीबाग जिले का वह हिस्सा है, जो अक्सर दुर्घटनाओं और जाम के लिए सुर्खियों में रहता है। जीटी रोड का यह हिस्सा बेहद घुमावदार और ढलानों से भरा हुआ है। ट्रकों और बड़े वाहनों को यहां सावधानी से चलना होता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पिछले कई सालों में यहां छोटे-बड़े हादसे लगातार होते आए हैं। इतिहास गवाह है कि दनुआ घाटी में कई बार वाहनों में आग लगने, ब्रेक फेल होने और ओवरटेकिंग के कारण बड़े हादसे हो चुके हैं।
यातायात पर असर और जाम की स्थिति
जैसे ही आग की लपटें उठीं, जीटी रोड पर अफरातफरी मच गई। कई किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतार लग गई। लोग घंटों सड़क पर फंसे रहे। हालांकि पुलिस ने तत्काल मोर्चा संभाला और धीरे-धीरे जाम की स्थिति को नियंत्रित किया। सुबह होते-होते सड़क पर यातायात फिर से बहाल कर दिया गया, लेकिन रातभर हुई यह घटना लोगों की यादों में डर के साये की तरह दर्ज हो गई।
लोग क्यों हैं चिंतित?
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि दनुआ घाटी में आए दिन हादसों का सिलसिला थम नहीं रहा है। यहां न तो पर्याप्त स्ट्रीट लाइट है और न ही वाहनों को कंट्रोल करने के लिए कोई विशेष व्यवस्था। यही वजह है कि जरा-सी चूक बड़े हादसे में बदल जाती है। इस बार गनीमत रही कि चालक समय रहते बाहर निकाल लिया गया, वरना जानमाल का भारी नुकसान हो सकता था।
क्या कहती है पुलिस?
पुलिस का कहना है कि हादसे की हर एंगल से जांच की जा रही है। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट था या किसी तकनीकी खराबी की वजह से कंटेनर में आग लगी, यह जांच के बाद ही साफ होगा। वहीं ट्रक चालक की लापरवाही और ओवरटेकिंग की भी जांच हो रही है।
आखिर सवाल यही—कब रुकेगी दनुआ घाटी की घटनाएं?
इतिहास से लेकर वर्तमान तक दनुआ घाटी दुर्घटनाओं का हॉटस्पॉट रही है। हर कुछ महीने पर यहां कोई न कोई बड़ी घटना घट जाती है। सवाल उठता है कि आखिर कब तक इस घाटी पर चलने वाले वाहनों को जान जोखिम में डालनी होगी? क्या प्रशासन यहां कोई स्थायी समाधान करेगा या हादसों का यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा?
शनिवार की सुबह का यह हादसा एक चेतावनी है कि दनुआ घाटी को सुरक्षित बनाने के लिए अब ठोस कदम उठाना जरूरी है।
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