Tata Accident: तेज रफ्तार डाला गाड़ी का दर्दनाक अंत, पेड़ से टकराकर दो युवकों की मौत!
टाटा-चाईबासा मुख्य मार्ग पर तेलाई गांव के पास एक तेज रफ्तार 407 डाला गाड़ी शीशम पेड़ से टकरा गई। हादसे में दो युवकों की दर्दनाक मौत हो गई। जानिए पूरी खबर और हादसे से जुड़े अहम तथ्य।

टाटा-चाईबासा: शुक्रवार रात टाटा-चाईबासा मुख्य मार्ग पर तेलाई गांव के पास एक भीषण सड़क दुर्घटना में तेज रफ्तार 407 डाला गाड़ी (JH-01CN 2203) पेड़ से टकरा गई। इस हादसे में वाहन चालक और खलासी गंभीर रूप से घायल हो गए और मौके पर ही बेहोश पड़े रहे। स्थानीय लोगों ने तुरंत राजनगर थाना को सूचना दी और 108 एम्बुलेंस से घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजनगर भेजा, लेकिन वहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।
कैसे हुआ भीषण हादसा?
जानकारी के मुताबिक, रात करीब 9:30 बजे टाटा-चाईबासा मार्ग पर यह तेज रफ्तार डाला गाड़ी अनियंत्रित होकर सड़क किनारे एक विशाल शीशम के पेड़ से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि गाड़ी के अगले हिस्से के परखच्चे उड़ गए, और चालक व खलासी गाड़ी के अंदर ही फंसे रह गए।
स्थानीय ग्रामीणों ने जब हादसे की आवाज सुनी तो तुरंत मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। लेकिन जब तक मदद पहुंची, दोनों युवक गंभीर रूप से घायल हो चुके थे और उन्हें बचाया नहीं जा सका।
मृतकों की पहचान, परिवार में छाया मातम
इस भीषण हादसे में जान गंवाने वाले दोनों युवकों की पहचान अर्जुन गोप (पोटका गांव निवासी) और राकेश गोप (लोधा गांव निवासी) के रूप में हुई है। हादसे की सूचना मिलते ही दोनों युवकों के परिवार में मातम छा गया।
शनिवार दोपहर करीब 12 बजे दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए सरायकेला भेज दिया गया।
तेज रफ्तार बनी मौत की वजह!
भारत में सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण तेज रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाना है। परिवहन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल करीब 1.5 लाख से अधिक लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं।
इस घटना के बाद ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क पर अक्सर तेज रफ्तार से गाड़ियां चलती हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। प्रशासन से इस मार्ग पर स्पीड ब्रेकर लगाने की मांग उठ रही है, ताकि इस तरह के हादसों पर रोक लगाई जा सके।
इतिहास में सड़क सुरक्षा की पहल
दुनिया में सड़क सुरक्षा को लेकर कई कड़े कदम उठाए गए हैं। 1950 के दशक में यूरोप में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी के बाद यातायात नियमों को कड़ा किया गया। भारत में भी सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 में कई संशोधन किए हैं ताकि तेज रफ्तार, नशे में ड्राइविंग और यातायात नियमों के उल्लंघन को रोका जा सके।
प्रशासन और ग्रामीणों का क्या कहना है?
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि इस मार्ग पर पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों का मानना है कि अगर सड़क किनारे सावधानी संकेतक और गति नियंत्रक लगाए जाएं, तो हादसों को रोका जा सकता है।
क्या होनी चाहिए सावधानियां?
- तेज रफ्तार में वाहन न चलाएं
- सड़क किनारे स्पीड ब्रेकर और संकेतक लगवाने की मांग करें
- रात के समय हाईवे पर अतिरिक्त सतर्कता बरतें
- अनुभवी और प्रशिक्षित चालकों को ही भारी वाहन चलाने की अनुमति दी जाए
टाटा-चाईबासा मार्ग पर हुई इस दर्दनाक दुर्घटना ने फिर एक बार यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारी सड़कें सुरक्षित हैं? क्या प्रशासन इस तरह के हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा? सड़क सुरक्षा को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
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