School Picnic: संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर के बच्चों ने पिकनिक में की मस्ती, जानें खास बातें

संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर के बच्चों ने पिकनिक में मस्ती करते हुए पर्यावरण और स्वच्छता का महत्व सीखा। पढ़ें, इस यादगार पिकनिक की खास बातें।

Jan 27, 2025 - 20:34
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School Picnic: संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर के बच्चों ने पिकनिक में की मस्ती, जानें खास बातें
School Picnic: संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर के बच्चों ने पिकनिक में की मस्ती, जानें खास बातें

धनबाद: संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर ने कक्षा छठवीं के बच्चों के लिए एक शानदार पिकनिक का आयोजन किया, जिसने बच्चों को न केवल मनोरंजन का अवसर दिया बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को भी समझाया। यह पिकनिक बच्चों के सर्वांगीण विकास और उन्हें बाहरी गतिविधियों से जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।

पिकनिक की शुरुआत और बच्चों का उत्साह

पिकनिक की शुरुआत सुबह 10 बजे स्कूल से हुई। बच्चों ने शिक्षकों और सहायकों के साथ बस में सवार होकर अपनी यात्रा शुरू की। बस में बच्चों के चेहरे पर खुशी और उत्साह साफ झलक रहा था। यात्रा के दौरान बच्चों ने मजेदार गीत गाए और दोस्ती के पलों का आनंद लिया।

पिकनिक स्थल पर धमाल और खेलकूद

पिकनिक स्थल पर पहुँचते ही बच्चों ने अलग-अलग खेलों में भाग लेना शुरू कर दिया। झूले, स्लाइड्स और अन्य खेल उपकरण बच्चों की पहली पसंद बने। बच्चे झूलते हुए, दौड़ते हुए, और हँसी-मजाक करते हुए बेहद खुश नजर आए।
शिक्षकों ने भी बच्चों के साथ मिलकर बैडमिंटन, गेंद के खेल और अन्य छोटे-छोटे खेलों में हिस्सा लिया। यह पल बच्चों और शिक्षकों के बीच का जुड़ाव बढ़ाने वाला रहा।

प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ाव

पिकनिक का मुख्य उद्देश्य बच्चों को प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक करना था। शिक्षकों ने बच्चों को पेड़ों, पौधों और जानवरों के महत्व के बारे में बताया। बच्चों ने बगीचे में टहलते हुए प्रकृति की सुंदरता को करीब से देखा।

दोपहर के भोजन और खास पलों का आनंद

दोपहर में बच्चों के लिए स्वादिष्ट भोजन का आयोजन किया गया। विभिन्न व्यंजनों को बच्चों ने बड़े चाव से खाया। भोजन के बाद बच्चों ने बगीचे में खेल-कूद और मौज-मस्ती की। इस दौरान शिक्षकों ने स्वच्छता और पर्यावरण के संरक्षण पर जोर दिया।

पिकनिक के यादगार पल

पिकनिक में 73 बच्चे और उनके साथ कक्षा 6 से 8 की कोऑर्डिनेटर श्रीमती अंनिंदिता दे, श्रीमती सरिता मुदलियार, श्रीमती मिठू दत्ता, सुश्री स्वाति साव, सुश्री लाबनी चटर्जी, और सुश्री सुषमा बिशई ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। शिक्षकों ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी हैं।

पिकनिक का समापन और संदेश

पिकनिक का समापन दोपहर 1:30 बजे हुआ। बच्चे खुश और संतुष्ट होकर विद्यालय लौटे। उनकी मुस्कान और उत्साह ने इस आयोजन को सफल बना दिया। यह पिकनिक बच्चों के लिए सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं थी, बल्कि उनके जीवन में पर्यावरण के महत्व और मिलजुल कर रहने के मूल्यों को बढ़ावा देने का भी जरिया बनी।

इतिहास में पिकनिक का महत्व

पिकनिक का चलन 18वीं शताब्दी में यूरोप में शुरू हुआ, जब परिवार और दोस्त प्रकृति के करीब समय बिताने के लिए खुले स्थानों में जाने लगे। भारत में यह परंपरा स्कूलों और संस्थानों में बच्चों के विकास के लिए अपनाई गई। ऐसी गतिविधियाँ न केवल मनोरंजन देती हैं, बल्कि सीखने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बनती हैं।

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