सफेद झूठ बोलने के माहिर खिलाड़ी है सरयू राय, झूठ पकड़े जाने पर बौखलाहट में है,सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते है सरयू राय - राजा सिंह
अवसरवादी होने का ताजा उदाहरण है सरयू राय. लोकसभा चुनाव के दौरान सत्ता लोलुप सरयू राय धनबाद से टिकट मांगने कांग्रेस के दरबार में हाजिरी लगाने से भी नहीं चुके.
जमशेदपुर। भुईंयाडीह के कल्याणनगर,इंद्रानगर व छायानगर सहित स्वर्णरेखा नदी तट के 150 घरों को जिला प्रशासन द्वारा तोड़े जाने के नोटिस को लेकर विधायक सरयू राय द्वारा लागातर सफेद झूठ बोला जा रहा है. विधायक सरयू राय को जानकारी होने के बावजूद उन्होंने बस्ती वासियों से यह बात छिपायी की अर्जुन मुंडा ने एनजीटी में शिकायत दर्ज कराई है. डॉ. अजय कुमार द्वारा जब बताया गया कि एनजीटी में अर्जुन मुंडा ने शिकायत की है तो सुबोध श्रीवास्तव ने डॉ. अजय से सबुत मांगा था. अब जबकि साबित हो गया कि शिकायत अर्जुन मुंडा ने की थी. तो कहा जा रहा है कि उस शिकायत में इन बस्तियों का नाम नहीं है. गजब की थेथरई है भाई, जब आपने शिकायत में स्वर्णरेखा नदी तट पर बनी बड़ी इमारतों और घरों को जिक्र कर दिया तो फिर ये बस्तियां उससे अलग कैसे हो गई. यह तो समझने की बात है कि आपने तो नदी किनारे बसे सभी बस्तियों के संबंध में अप्रत्यक्ष रुप से शिकायत कर दी है.
विधायक ने नहीं निभाई अपनी जिम्मेवारी
विधायक सरयू राय ने जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा के लोगों को ठगने का काम किया है. पिछले पांच वर्षों में उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों का ही परिणाम है कि आज भी मोहरदा जलापूर्ति योजना के माध्यम से क्षेत्र में बदबूदार पानी की सप्लाई की जा रही है. शायद यही स्वर्णरेखा नदी के प्रदूषण मुक्त होने का प्रमाण है. जिसके लिए कई वर्षों से नदी तट पर महोत्सव का आयोजन किया जाता है. आज तक जांच के लिए भेजी गई स्वर्णरेखा और दोमुहानी की बोतलबंद पानी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई, यह भी एक सच है. विधायक के बेहतर कार्यों के कारण ही क्षेत्र की जनता पैसे देकर बदबूदार गंदा पानी की सप्लाई को झेलने को मजबूर है और विधायक अपने और अपनों की चिंता में व्यस्त है. इतना ही नहीं पांच वर्षों में विधायक द्वारा उपलब्ध कराई गई नागरिक सुविधाओं की पोल तो दैनिक अखबारों में छपी ऱिपोर्ट ने खोल दी.
अवसरवादी है सरयू राय
अवसरवादी होने का ताजा उदाहरण है सरयू राय. लोकसभा चुनाव के दौरान सत्ता लोलुप सरयू राय धनबाद से टिकट मांगने कांग्रेस के दरबार में हाजिरी लगाने से भी नहीं चुके. जब दबाव की राजनीति से भाजपा में इंट्री नहीं मिली तो नीतिश कुमार की दोस्ती का तकाजा बताते हुए जदयू में शामिल हो गए. सरयू राय सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते है, यही इनकी फितरत है.
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