Saraikela Tragedy – कहासुनी के बाद व्यक्ति ने खाई जहरीली दवा, अस्पताल में लापरवाही का आरोप
सरायकेला में घरेलू विवाद के बाद व्यक्ति ने खाई जहरीली दवा, अस्पताल में इलाज के दौरान मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप।
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सरायकेला: सरायकेला नगर पंचायत क्षेत्र में रहने वाले महेश शर्मा (55 वर्ष) ने घरेलू विवाद के बाद चूहे मारने की दवा खाकर जान दे दी। यह दर्दनाक घटना शुक्रवार रात की बताई जा रही है। घटना के बाद परिवारवालों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन अस्पताल में इलाज के दौरान शनिवार सुबह उनकी मौत हो गई।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार रात महेश शर्मा का अपने परिवार से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। गुस्से में आकर उन्होंने घर में रखी जहरीली दवा खा ली। जैसे ही परिजनों को इस बात का पता चला, उन्होंने तुरंत घरेलू उपचार करवाया और उल्टी कराने की कोशिश की।
रात करीब 11 बजे जब महेश शर्मा की तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी, तो परिवारवालों ने उन्हें सरायकेला सदर अस्पताल पहुंचाया। वहां डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, लेकिन शनिवार सुबह 8 बजे उनकी मौत हो गई।
बेटे ने लगाया अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
महेश शर्मा के बेटे सूरज शर्मा ने अस्पताल के डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सूरज का कहना है कि,
- रात को अस्पताल लाने के बाद डॉक्टर ने जांच की और नर्स ने सलाइन चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
- रातभर कोई भी डॉक्टर या नर्स उनके पिता का हाल जानने नहीं आया।
- सुबह 7 बजे तक उनके पिता जीवित थे, वह कुछ देर के लिए घर गए।
- जब सुबह 8 बजे वापस आए तो देखा कि उनके पिता मृत अवस्था में पड़े थे।
परिवार की मांग – हो जांच और कार्रवाई
परिजनों का आरोप है कि अगर डॉक्टर और नर्स समय रहते इलाज करते, तो महेश शर्मा की जान बच सकती थी। परिवारवालों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जांच और कार्रवाई की मांग की है।
अस्पताल प्रशासन की सफाई
हालांकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज को उचित इलाज दिया गया था और उनकी स्थिति पहले से ही गंभीर थी। डॉक्टरों का दावा है कि उन्होंने पूरी कोशिश की, लेकिन ज़हर शरीर में फैल चुका था, जिससे उन्हें बचाया नहीं जा सका।
समाज में बढ़ती तनावजनित घटनाएं
घरेलू विवादों के कारण आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पारिवारिक तनाव, मानसिक दबाव और निराशा के कारण लोग ऐसे कठोर कदम उठा रहे हैं। समाज में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और काउंसलिंग सुविधाओं को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि लोग भावनात्मक रूप से मजबूत रह सकें और इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
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