सरग से भी बढ़कर - डाँ0 यमुना तिवारी व्यथित
सरग से भी बढ़कर करें अपने वतन से प्यार, वतन पे मर मिटे हैं कितने लाल बे शुमार। .....
सरग से भी बढ़कर
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सरग से भी बढ़कर करें
अपने वतन से प्यार,
वतन पे मर मिटे हैं
कितने लाल बे शुमार।
खोए हैं देश के लिए
माँओं ने कितने लाल,
विश्व में ऊँचा रहे
अपने वतन का भाल,
प्राणों को कर दिया है
हँसते देश पर निसार।
खुदी भगत सुभाष ने
सर्वस्व लूटा दिया,
आज हम आजाद हैं
पर उनको क्या मिला,
शहीदों को भी नेताओं ने
किया है शर्मसार।
आए थे सेवा के लिए
मेवा को लूट रहे,
दल दल में भ्रष्टाचार के
सिर तक डूबे रहे,
हैवानियत के हद से भी
हो गए हैं पार।
अब ओर देर ना करो
चेत जाइए,
देश के दुश्मनों को
पहचान जाइए,
करत हैं वार देश पर
ये देश के गद्दार।
--डाँ0 यमुना तिवारी व्यथित
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