Ranchi Free Coaching: झारखंड में फ्री कोचिंग और जनजातीय विश्वविद्यालय, शिक्षा में बड़ा बदलाव!
झारखंड सरकार ने नि:शुल्क कोचिंग और जनजातीय विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की। छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ रहने-खाने की सुविधा भी मिलेगी। पढ़ें पूरी खबर।

रांची: झारखंड के विद्यार्थियों के लिए बड़ी खुशखबरी है! राज्य सरकार अब नि:शुल्क कोचिंग संस्थान खोलने जा रही है, जहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाएगी। यही नहीं, यहां छात्रों के रहने-खाने की भी सुविधा होगी। इसके अलावा, जमशेदपुर में जनजातीय विश्वविद्यालय खोलने की भी घोषणा की गई है, जिससे आदिवासी और मूलवासी छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने इस योजना की जानकारी दी और कहा कि सरकार राज्य में शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए नए कदम उठा रही है।
क्या है सरकार की नई योजना?
शिक्षा मंत्री ने बताया कि झारखंड में कोचिंग संस्थानों में महंगी फीस की वजह से कई होनहार छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पाते। इसी को देखते हुए राज्य सरकार मुफ्त कोचिंग सेंटर खोलेगी, जहां छात्रों को UPSC, JPSC, SSC, बैंकिंग, रेलवे जैसी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाएगी। इस योजना के तहत आवासीय सुविधा भी दी जाएगी, जिससे दूरदराज के छात्रों को परेशानी न हो।
इसके अलावा, सरकार ने शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति पर निगरानी के लिए टैबलेट वितरण भी शुरू कर दिया है। इससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी।
जनजातीय विश्वविद्यालय: आदिवासी छात्रों के लिए नया अवसर
झारखंड में आदिवासी समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा के बेहतर अवसर देने के लिए जमशेदपुर में जनजातीय विश्वविद्यालय खोला जाएगा। इससे न सिर्फ राज्य के बल्कि देशभर के आदिवासी छात्रों को फायदा मिलेगा। झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है और भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, तिलका मांझी जैसे महान क्रांतिकारी इसी धरती से निकले थे। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आदिवासी समुदाय अब भी पीछे है। सरकार का यह कदम शैक्षिक असमानता को दूर करने में मदद करेगा।
पूर्व सरकारों की नीतियों पर सवाल
शिक्षा मंत्री ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व की सरकारें आदिवासी, मूलवासी और पिछड़ों को शिक्षा से वंचित रखना चाहती थीं। इसी वजह से 7,000 से ज्यादा सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए थे। लेकिन वर्तमान सरकार न सिर्फ नई शिक्षा योजनाओं को लागू कर रही है, बल्कि अब झारखंड के छात्रों को विदेश में पढ़ने के लिए भी भेजा जाएगा।
इसके अलावा, सरकार गोड्डा, चाईबासा और बोकारो में नवोदय विद्यालय की तर्ज पर नए स्कूल खोलने जा रही है। इन स्कूलों में छात्रों को उच्च स्तरीय शिक्षा दी जाएगी। इसके अलावा, जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी, जिससे झारखंड के बच्चे अपनी मातृभाषा में भी पढ़ाई कर सकें।
भाजपा का आरोप: शिक्षा व्यवस्था बदहाल
विधानसभा में भाजपा विधायक नीरा यादव ने कटौती प्रस्ताव पेश करते हुए सरकार की शिक्षा नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि झारखंड में शिक्षा व्यवस्था बद से बदतर हो गई है। यू-डायस (U-DISE) रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में 7,462 स्कूल ऐसे हैं जहां सिर्फ एक ही शिक्षक है, जबकि इन स्कूलों में करीब 3.78 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इसके अलावा, 372 स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है, लेकिन वहां 1,153 शिक्षक तैनात हैं।
नीरा यादव ने यह भी आरोप लगाया कि 2019 के बाद से राज्य में एक भी शिक्षक की बहाली नहीं हुई है, जिससे छात्रों का ड्रॉपआउट रेट बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि सरकार फ्री स्कीम बांटने में व्यस्त है, लेकिन शिक्षा की हालत सुधारने के लिए कुछ नहीं कर रही।
बिरसा मुंडा को इतिहास में जगह नहीं? भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
भाजपा विधायक अमित यादव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इसी पार्टी की वजह से भगवान बिरसा मुंडा को इतिहास के पन्नों में उचित स्थान नहीं मिला। उन्होंने कहा कि आदिवासी नायकों का इतिहास भूलने की कोशिश की गई और अब सरकार उन्हें सम्मान देने की बात कर रही है।
हेमंत सोरेन को दबाने की कोशिश का आरोप!
झारखंड की राजनीति में हाल ही में हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। विधायक जिग्गा सुसाशन होरो ने कहा कि भाजपा ने हेमंत सोरेन को दबाने की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हुए। उन्होंने यह भी कहा कि कल्पना सोरेन परिस्थितियों की वजह से राजनीति में आईं और उन्होंने भाजपा को हराकर साबित कर दिया कि जनता उनके साथ है।
क्या झारखंड की शिक्षा व्यवस्था बदलेगी?
झारखंड सरकार की नई योजनाओं से राज्य के छात्रों को बड़े स्तर पर फायदा मिल सकता है। खासकर नि:शुल्क कोचिंग और जनजातीय विश्वविद्यालय जैसी योजनाएं छात्रों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। हालांकि, विपक्षी दलों के आरोपों को देखते हुए सरकार को यह भी साबित करना होगा कि ये घोषणाएं सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि जमीन पर भी लागू की जाएंगी।
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