Assam Tragedy: राजधानी बेपटरी, 8 हाथियों की दर्दनाक मौत, अंधेरे में हुई भीषण टक्कर ने मचाई तबाही
असम के होजाई में सैरांग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस एक जंगली हाथियों के झुंड से टकरा गई है जिसमें 8 विशाल जीवों की मौके पर ही मौत हो गई और ट्रेन के 6 डिब्बे पटरी से उतर गए। प्रकृति और तकनीक के इस भीषण टकराव की पूरी हकीकत और रेल पटरियों पर बिछती हाथियों की लाशों का डरावना सच यहाँ दिया गया है वरना आप भी वन्यजीवों पर मंडराते इस बड़े खतरे से अनजान रह जाएंगे।
होजाई (असम), 20 दिसंबर 2025 – असम के जंगलों की सुबह आज पक्षियों की चहचहाहट से नहीं, बल्कि बेजुबान हाथियों की चीख और लोहे के टकराने की डरावनी आवाज से हुई। शनिवार तड़के करीब 02:17 बजे होजाई जिले में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने देश को झकझोर कर रख दिया है। तेज रफ्तार से दौड़ रही सैरांग-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस अचानक जंगली हाथियों के एक झुंड से टकरा गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि न केवल 8 हाथियों की सांसें हमेशा के लिए थम गईं, बल्कि ट्रेन का शक्तिशाली इंजन और 6 कोच भी पटरी से उतर गए। यह घटना विकास और वन्यजीव संरक्षण के बीच बढ़ते खतरनाक फासले की एक दुखद गवाही है।
इतिहास: असम के जंगल और हाथियों का सदियों पुराना 'हाथी कॉरिडोर'
असम और पूर्वोत्तर भारत के घने जंगल ऐतिहासिक रूप से एशियाई हाथियों (Elephas maximus) का सबसे बड़ा घर रहे हैं। सदियों से ये गजराज अपने तय रास्तों, जिन्हें 'एलिफेंट कॉरिडोर' कहा जाता है, के जरिए भोजन और पानी की तलाश में मीलों का सफर तय करते रहे हैं। हालांकि, औपनिवेशिक काल से ही रेल पटरियों के बिछाने के बाद से इन शांत जीवों का संघर्ष शुरू हुआ। पिछले 50 वर्षों में रेल नेटवर्क के विस्तार ने इन कॉरिडोर को खंडित कर दिया है। आज स्थिति यह है कि कई ऐसे रास्ते जो आधिकारिक रूप से 'कॉरिडोर' घोषित नहीं हैं, वहां भी हाथियों का आना-जाना बना रहता है और वहीं मौत उन्हें अपना शिकार बना लेती है।
रात का सन्नाटा और अचानक हुई तबाही
नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटीयर रेलवे के अनुसार, राजधानी एक्सप्रेस गुवाहाटी से लगभग 126 किलोमीटर दूर घने जंगल से गुजर रही थी। अंधेरा इतना गहरा था कि लोको पायलट को ट्रैक पर खड़े हाथियों का झुंड बहुत करीब आने पर ही नजर आया।
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इमरजेंसी ब्रेक भी हुए फेल: लोको पायलट ने तुरंत ब्रेक लगाए, लेकिन रफ्तार इतनी अधिक थी कि ट्रेन को रुकने का समय नहीं मिला।
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भीषण टकराव: ट्रेन सीधे हाथियों से जा टकराई। इस टक्कर में 8 हाथियों के चिथड़े उड़ गए और एक हाथी गंभीर रूप से घायल होकर तड़प रहा है।
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यात्रियों की स्थिति: सौभाग्य से ट्रेन में सवार यात्रियों को कोई गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन पटरी से उतरने के झटके ने उन्हें दहशत में डाल दिया।
बहाली का कार्य और रेलवे की हेल्पलाइन
हादसे के तुरंत बाद लुमडिंग मंडल के अधिकारी और राहत ट्रेन मौके पर पहुँची। प्रभावित यात्रियों को सुरक्षित कोचों में शिफ्ट किया गया और ट्रेन को सुबह 06:11 बजे गुवाहाटी के लिए रवाना किया गया। रेलवे ने परिवार वालों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं: 0361-2731621/22/23।
हाथियों की मौत का खौफनाक आंकड़ा (2019-2025)
| वर्ष | रेल हादसों में मौत | अन्य कारण (करंट/जहर/शिकार) | कुल अप्राकृतिक मौत |
| 2019–20 | 14 | 95 | 109 |
| 2020–21 | 14 | 102 | 116 |
| 2021–22 | 15 | 108 | 123 |
| 2022–23 | 17 | 112 | 129 |
| 2023–24 | 19 | 111 | 130 |
| 2024–25 (अब तक) | 20+ | 100+ | 120+ |
| कुल (अनुमानित) | 99+ | 628+ | 727+ |
क्यों नहीं थम रहा है मौत का यह सिलसिला?
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल कॉरिडोर की पहचान काफी नहीं है। जब तक संवेदनशील क्षेत्रों में ट्रेनों की गति पर सख्त नियंत्रण (Speed Restriction) और एआई आधारित 'एलिफेंट डिटेक्शन सिस्टम' नहीं लगाया जाता, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे। पिछले 6 सालों में 80 से अधिक हाथियों का रेल पटरियों पर दम तोड़ना यह बताता है कि हमारे सुरक्षा मानक अभी भी प्रकृति के अनुकूल नहीं हैं।
विकास की कीमत चुकाते बेजुबान
होजाई का यह हादसा हमें याद दिलाता है कि हम जिस रफ्तार और आधुनिकता का जश्न मना रहे हैं, उसकी भारी कीमत ये बेजुबान जीव अपनी जान देकर चुका रहे हैं। एक साथ 8 हाथियों का मरना पर्यावरण के लिए एक अपूरणीय क्षति है। क्या हम कभी ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर बना पाएंगे जहाँ इंसान और हाथी दोनों सुरक्षित रह सकें?
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