AIIMS गोरखपुर के निदेशक प्रो. गोपाल कृष्ण पाल हटाए गए, बेटे के प्रवेश विवाद से जुड़ा मामला
AIIMS गोरखपुर के निदेशक प्रो. गोपाल कृष्ण पाल को बेटे के प्रवेश विवाद के चलते हटाया गया। जानिए, उनके स्थान पर कौन सा नया नियुक्ति हुआ और विवाद का पूरा मामला।
27 सितंबर 2024, गोरखपुर: एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक (ईडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) प्रो. गोपाल कृष्ण पाल को उनके पद से हटा दिया गया है। उनका कार्यकाल आधिकारिक रूप से 2 अक्टूबर को खत्म होना था, लेकिन छह दिन पहले ही, प्रो. अजय सिंह को एम्स गोरखपुर की जिम्मेदारी सौंप दी गई। प्रो. अजय सिंह, जो एम्स भोपाल में पहले से कार्यरत हैं, को गोरखपुर का कार्यवाहक निदेशक बनाया गया है। उनका कार्यकाल फिलहाल तीन महीने के लिए निर्धारित किया गया है।
प्रो. गोपाल कृष्ण पाल हाल ही में बेटे के ओबीसी नॉन-क्रीमीलेयर (एनसीएल) प्रमाणपत्र के आधार पर एम्स गोरखपुर के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में एमडी सीट पर प्रवेश दिलाने के विवाद में फंसे थे। इस मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। जल्द ही यह कमेटी गोरखपुर पहुंचकर जांच शुरू करेगी। इस बीच प्रो. पाल को पद से हटा दिया गया, और इस कार्रवाई को उनके बेटे के विवादित प्रवेश से जोड़कर देखा जा रहा है।
प्रो. गोपाल कृष्ण पाल को 2 अक्टूबर 2023 को एम्स पटना से एम्स गोरखपुर का चार्ज दिया गया था। उन्हें प्रो. सुरेखा किशोर की जगह भेजा गया था, जिन्हें भ्रष्टाचार और विजिलेंस जांच के कारण एम्स ऋषिकेश स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि प्रो. पाल एम्स पटना के निदेशक बने रहेंगे, लेकिन एम्स गोरखपुर में उनकी जगह अब प्रो. अजय सिंह ने ले ली है।
बेटे के कारण हटाए गए दूसरे निदेशक
प्रो. गोपाल कृष्ण पाल, बेटे के कारण पद से हटाए जाने वाले एम्स गोरखपुर के दूसरे निदेशक हैं। इससे पहले, प्रो. सुरेखा किशोर को भी अचानक हटाकर एम्स ऋषिकेश भेजा गया था। प्रो. पाल का बेटा डॉ. ओरोप्रकाश पाल ने ओबीसी एनसीएल प्रमाणपत्र के आधार पर 30 अगस्त को एमडी सीट पर प्रवेश लिया था, लेकिन बाद में 3 सितंबर को तीन लाख रुपये जुर्माना देकर प्रवेश रद्द करा दिया।
विवाद की शुरुआत
यह विवाद तब शुरू हुआ जब एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता ने प्रो. गोपाल कृष्ण पाल के खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने 25 जुलाई को हुई साक्षात्कार प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। इसके बाद, जब प्रो. पाल के बेटे का प्रवेश ओबीसी एनसीएल प्रमाणपत्र पर हुआ, तो डॉ. गुप्ता ने इसे जनसुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत के रूप में दर्ज किया।
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