Big Breaking: वैशाली के राजापाकर में पुलिस हिरासत में नासिर की संदिग्ध मौत, परिजनों का हंगामा, पुलिस पर मारपीट का आरोप – क्या छिपा रही बिहार पुलिस?

वैशाली के राजापाकर में पुलिस हिरासत में नासिर की संदिग्ध मौत, परिजनों का शव लेने से इनकार, पुलिस पर मारपीट का आरोप। क्या छिपा रही बिहार पुलिस? पढ़ें पूरी खबर!

Sep 8, 2025 - 15:11
 0
Big Breaking: वैशाली के राजापाकर में पुलिस हिरासत में नासिर की संदिग्ध मौत, परिजनों का हंगामा, पुलिस पर मारपीट का आरोप – क्या छिपा रही बिहार पुलिस?
Big Breaking: वैशाली के राजापाकर में पुलिस हिरासत में नासिर की संदिग्ध मौत, परिजनों का हंगामा, पुलिस पर मारपीट का आरोप – क्या छिपा रही बिहार पुलिस?

बिहार डेस्क | 8 सितंबर, 2025 वैशाली, बिहार – वैशाली जिले के राजापाकर थाना क्षेत्र के चकसीमा कल्याणपुर गांव में पुलिस हिरासत में 70 वर्षीय मोहम्मद नासिर शाह की संदिग्ध मौत ने इलाके में तनाव की आग भड़का दी है। नासिर को पुलिस ने 6 सितंबर को पुलिस टीम पर हमले के आरोप में हिरासत में लिया था, जिसके बाद रविवार को उनकी तबीयत बिगड़ने की बात कहकर पुलिस ने उन्हें हाजीपुर सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस की पिटाई से नासिर की जान गई, जबकि पुलिस का दावा है कि उनकी तबीयत अचानक खराब हुई। इस घटना ने बिहार में पुलिस की कार्यशैली और जवाबदेही पर फिर सवाल उठाए हैं, खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।

पिछले पांच सालों से बिहार की अपराध और कानून-व्यवस्था की खबरें कवर करते हुए, मैंने देखा है कि पुलिस हिरासत में मौत की घटनाएं जनता का भरोसा तोड़ती हैं। नासिर की मौत के बाद परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया और एंबुलेंस के पास धरने पर बैठ गए, दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए। गांव में “पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करो” के नारे गूंज रहे हैं, और इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है।

क्या हुआ था घटना के दिन?

जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार रात चकसीमा कल्याणपुर में 40 रुपये की आइसक्रीम को लेकर हुए विवाद के बाद डायल-112 पुलिस टीम पर हमला हुआ था। इस हमले में राजापाकर थाना प्रभारी धर्मेंद्र कुमार, दो सहायक उप-निरीक्षक, और एक चौकीदार घायल हो गए। पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें नासिर भी शामिल थे। पुलिस का कहना है कि नासिर की तबीयत हिरासत में अचानक बिगड़ी, लेकिन परिजनों का आरोप है कि नासिर स्वस्थ थे और पुलिस की मारपीट ने उनकी जान ली। ग्रामीणों ने पुलिस वाहनों पर हमला किया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए महुआ, भगवानपुर, और अन्य थानों से भारी पुलिस बल तैनात किया गया।

चुनावी माहौल में क्यों बढ़ रहीं ऐसी घटनाएं?

बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और ऐसे समय में अपराध और पुलिस की कार्रवाइयों का बढ़ना कोई नई बात नहीं। लेकिन नासिर की मौत ने सवाल खड़े किए हैं कि क्या पुलिस का दबाव अपराध को नियंत्रित करने के बजाय जनता के खिलाफ हो रहा है? आर्थिक समय की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में अवैध हथियारों की तस्करी और संगठित अपराध चुनावी मौसम में बढ़ जाते हैं, जिसके लिए पुलिस पर त्वरित कार्रवाई का दबाव होता है। लेकिन ऐसी कार्रवाइयों में पारदर्शिता की कमी और हिरासत में मौतें जनता का गुस्सा भड़काती हैं। फ्रंटलाइन के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2025 में बिहार में हिंसक अपराधों में उछाल आया, और विपक्ष इसे 'जंगल राज' की वापसी बता रहा है।

पुलिस का रुख और जांच

हाजीपुर सदर उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) सुबोध कुमार ने बताया कि मामले की विभागीय जांच शुरू हो गई है, और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। पोस्टमॉर्टम मजिस्ट्रेट की निगरानी में किया जा रहा है, और इसकी वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है। लेकिन परिजनों का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा। वे मांग कर रहे हैं कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, वे शव नहीं लेंगे।

आगे क्या?

यह घटना बिहार पुलिस के लिए एक बड़ा सबक है। नासिर की मौत ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि चुनावी मौसम में निष्पक्षता और पारदर्शिता की जरूरत को भी रेखांकित किया। क्या यह घटना बिहार में पुलिस सुधारों की मांग को और तेज करेगी, या फिर यह गुस्सा और विरोध प्रदर्शनों में बदल जाएगा? प्रशासन को स्थिति संभालने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।