Bihar Election : पटना में पुलिस ने हथियार क्यों बरामद किए? बिहार चुनावों में गुंडों की भरमार क्यों? क्या नीतीश सरकार में जंगल राज लौट रहा है?

पटना पुलिस की बड़ी कामयाबी: हथियारों का जखीरा बरामद, 6 अपराधी गिरफ्तार। चुनावी मौसम में बिहार में गुंडागर्दी क्यों बढ़ती है? लालू दौर नहीं, फिर भी मसल पावर का खेल – पूरी रिपोर्ट पढ़ें!

Sep 8, 2025 - 15:00
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Bihar Election : पटना में पुलिस ने हथियार क्यों बरामद किए? बिहार चुनावों में गुंडों की भरमार क्यों? क्या नीतीश सरकार में जंगल राज लौट रहा है?
Bihar Election : पटना में पुलिस ने हथियार क्यों बरामद किए? बिहार चुनावों में गुंडों की भरमार क्यों? क्या नीतीश सरकार में जंगल राज लौट रहा है?

बिहार डेस्क | 8 सितंबर, 2025 पटना, बिहार – राजधानी पटना में पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है, जो आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। सूत्रों से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर, पटना पुलिस ने जिले के दो थाना क्षेत्रों में रातभर चली छापेमारी में अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा बरामद किया है। साथ ही, आधा दर्जन अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। बरामद हथियारों में पिस्टल, राइफल और बड़ी मात्रा में कारतूस शामिल हैं, जो किसी बड़े अपराध की साजिश की ओर इशारा करते हैं। एसएसपी पटना शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस ऑपरेशन की पूरी डिटेल साझा करेंगे।

पिछले 5 सालों से बिहार की राजनीति और अपराध की रिपोर्टिंग करते हुए, मैंने देखा है कि चुनावी मौसम में राज्य में गुंडागर्दी और हथियारों का खेल कैसे बढ़ जाता है। लेकिन सवाल उठता है – लालू यादव का दौर (1990-2005) तो खत्म हो चुका, जब 'जंगल राज' की बदनामी थी, फिर नीतीश कुमार की सरकार में चुनावों के समय क्यों गुंडों की भरमार हो जाती है? आंकड़े बताते हैं कि जुलाई 2025 में ही पटना में हिंसक अपराधों में उछाल आया, जिसमें हत्याएं, लूट और महिलाओं के खिलाफ अपराध शामिल हैं। राहुल गांधी ने तो इसे 'क्राइम कैपिटल' तक कह दिया!

कारण? चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा 'मसल पावर' का इस्तेमाल। भले लालू दौर की तरह खुलेआम गुंडागर्दी न हो, लेकिन आज भी उम्मीदवार वोटरों को डराने, बूथ कैप्चरिंग और विरोधियों को धमकाने के लिए अपराधियों को बुलाते हैं। अवैध हथियारों की तस्करी बढ़ जाती है – नेपाल सीमा से लेकर झारखंड तक से हथियार आते हैं। आर्थिक समय की रिपोर्ट के मुताबिक, अवैध हथियारों का प्रसार मुख्य वजह है। फ्रंटलाइन पत्रिका में प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि जुलाई में ही दर्जनों हिंसक घटनाएं हुईं, जो एनडीए सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं। विपक्ष इसे 'जंगल राज' की वापसी बता रहा है, जबकि सरकार का दावा है कि अपराध दर में कमी आई है। लेकिन चुनावी मौसम में जातीय राजनीति और धन-बल का खेल अपराधियों को सक्रिय करता है।

इस छापेमारी से पुलिस ने साफ संदेश दिया है कि अपराध पर नकेल कसी जाएगी। गिरफ्तार अपराधियों से पूछताछ में बड़े गिरोह का खुलासा हो सकता है। चुनाव आयोग की नजर में, यह ऑपरेशन बिहार में निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की दिशा में कदम है। लेकिन सवाल बाकी है – क्या चुनावों में गुंडों का साया कम होगा? पटना पुलिस की यह कामयाबी निश्चित रूप से एक राहत है, लेकिन राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए और सख्ती जरूरी है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।