रामचरितमानस में तनाव मुक्ति पर काव्य गोष्ठी: साहित्यकारों ने व्यक्त किए विचार
10 नवंबर 2024 को माँ सरस्वती राष्ट्रीय काव्य मंच ने रामचरितमानस में तनाव मुक्ति पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। बड़े साहित्यकारों ने अपनी प्रस्तुति से कार्यक्रम का सार समझाया।
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जमशेदपुर, 10 नवंबर 2024: माँ सरस्वती राष्ट्रीय काव्य मंच ने रविवार को "रामचरितमानस में तनाव मुक्ति" विषय पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। यह कार्यक्रम दोपहर 2:00 बजे से 4:00 बजे तक आयोजित किया गया। इस काव्य गोष्ठी में कई बड़े साहित्यकारों ने भाग लिया और अपने विचारों के माध्यम से रामचरितमानस के महत्व को उजागर किया।
कार्यक्रम में श्री नंदकिशोर बहुखंडी, डॉ. अम्बे कुमारी, उर्मिला कुमारी, श्री रमेश कुमार द्विवेदी चंचल, डॉ. अर्चना पाण्डेय, डॉ. ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी, नीरजा वर्मा, डॉ. महेश तिवारी, मंजूषा दुग्गल, डॉ. शरद नारायण खरे, डॉ. नताशा कुशवाहा, मनीषा नामदेव, ललिता कुशवाहा, श्री पुहुप राम यदु, कविता नामदेव, परिणीता सिन्हा स्वयंसिद्धा, माला सिंह और मंच के संस्थापक श्री महेश प्रसाद शर्मा ने भाग लिया।
इस काव्य गोष्ठी का उद्देश्य रामचरितमानस के माध्यम से तनाव मुक्ति को समझाना था। सभी साहित्यकारों ने अपनी काव्य प्रस्तुति से यह बताया कि रामचरितमानस न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन जीने की कला और तनाव मुक्ति का भी एक महत्वपूर्ण साधन है।
रामचरितमानस से यह संदेश मिलता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने अनुभवों से ही सीख सकता है। भगवान राम की जीवन यात्रा से यह प्रेरणा मिलती है कि जीवन में कठिनाइयों का सामना करना और उनसे विजय प्राप्त करना आवश्यक है। रामचरितमानस के माध्यम से यह भी सिखाया जाता है कि माता-पिता को बच्चों को अपनी राह पर चलने और अपने निर्णय स्वयं लेने की अनुमति देनी चाहिए।
साहित्यकारों ने यह भी कहा कि रामचरितमानस का नियमित पाठ करने से भगवान राम और माता सीता की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, यह साधकों के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। रामचरितमानस जीवन के हर पहलु को समझने और जीने की कला सिखाता है।
सभी साहित्यकारों ने रामचरितमानस की चौपाइयों और छंदों के माध्यम से बताया कि इस ग्रंथ का जाप करने से जीवन के अनेक पाप, भय, और रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके साथ ही, यह भी कहा गया कि रामचरितमानस के पाठ से आर्थिक समृद्धि भी प्राप्त होती है, जिससे यह ग्रंथ केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि मानसिक और भौतिक स्तर पर भी लाभकारी साबित होता है।
इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि रामचरितमानस सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलु को समझाने और तनाव मुक्ति के लिए एक अमूल्य धरोहर है।
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