पिया संग - गीता शर्मा जी, छत्तीसगढ़
पिया संग - गीता शर्मा जी, छत्तीसगढ़
पिया संग
कल जागी मैं पिया के संग।
तन- मन मेरा पिया के रंग।।
अपनी ओढ़नी की गांठ में
बांधा सब पिया के अंग।।
न की परवाह संसार की मैंने।
न हुआ तन- मन मेरा बदरंग।।
बिखर कर निखर गयी मैं।
मगन हुआ मेरा अंग प्रत्यंग।।
हुई बावली सुध -बुध खोई।
अब मन हुआ मेरा सतरंग ।।
गीता शर्मा जी
छत्तीसगढ़
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