Palamu Attack: बूढ़े को ओझा गुणी बताकर काटने आए गोतिया परिवार के 3 लोग! आखिर झारखंड में क्यों नहीं रुक रहा डायन-बिसाही के नाम पर खून?
क्या सोते हुए आपकी भी हो सकती है हत्या? पलामू के छतरपुर में अंधविश्वास और पुरानी रंजिश ने गोतिया परिवार को बनाया खूनी! जानें कैसे पत्नी के एक चीखने पर बच गई वृद्ध चन्द्रदीप भुइयां की जान और क्यों झारखंड में आज भी कायम है 'ओझा गुणी' का खूनी खेल!
जमशेदपुर, 24 अक्टूबर 2025 - एक बार फिर झारखंड के पलामू जिले में अंधविश्वास और पुरानी रंजिश के जहर ने एक परिवार को खून के रंग में रंग दिया है। तरहसी थाना क्षेत्र स्थित छतरपुर में गोतिया परिवार के ही तीन सदस्यों ने एक वृद्ध व्यक्ति पर 'ओझा गुणी' (जादू-टोना करने वाला) होने का घिनौना आरोप लगाकर गड़ासे से जानलेवा हमला कर दिया। यह हृदय विदारक घटना दिखाती है कि कानून और जागरूकता के बावजूद भी झारखंड के ग्रामीण इलाकों में डायन-बिसाही की कुप्रथा कितनी गहरी जड़ें जमाए हुए है।
वह भयानक रात और पत्नी की बहादुरी
घायल वृद्ध की पहचान चन्द्रदीप भुइयां के रूप में हुई है, जिन्हें गंभीर हालत में मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल (MMCH) में भर्ती कराया गया है। उनके बचने की पूरी कहानी उनकी पत्नी अनार देवी की बहादुरी से जुड़ी है।
अनार देवी ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि गुरुवार देर रात जब वह और उनके पति कमरे में सो रहे थे, तभी उन्हें तेज आवाज़ सुनाई दी। जागने पर उन्होंने जो देखा, वह किसी दुःस्वप्न से कम नहीं था। गोतिया परिवार के उनके भतीजे अंता भुइयां, जय राम भुइयां और श्रीराम भुइयां धारदार गड़ासे से उनके पति पर लगातार वार कर रहे थे।
अगर अनार देवी उस वक्त शोर न मचातीं और बीच-बचाव के लिए न कूदतीं, तो निश्चित रूप से चन्द्रदीप भुइयां की गर्दन काट दी गई होती। इस बहादुरी के कारण हमलावर मौके से भाग गए, और वृद्ध चन्द्रदीप की जान बच पाई।
जमीन का लालच या अंधविश्वास का ज़हर?
अनार देवी ने हमलावरों की रंजिश के पीछे दो प्रमुख कारण बताए:
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ओझा गुणी का आरोप: हमलावर परिवार पिछले काफी समय से चन्द्रदीप भुइयां को जादू-टोना करने वाला मानता आ रहा था। इस अंधविश्वास के चलते पहले भी विवाद हो चुका है, और वृद्ध की बहू की पिटाई तक की गई थी।
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जमीन विवाद: महिला ने स्पष्ट किया कि उनका गोतिया परिवार से जमीन का विवाद भी चला आ रहा है।
झारखंड में डायन-बिसाही से जुड़े मामलों के इतिहास पर नज़र डाली जाए, तो अक्सर यह पाया गया है कि अंधविश्वास को ढाल बनाकर जमीन या अन्य निजी स्वार्थ के लिए अपराध किए जाते हैं। इस मामले में भी जमीन का लालच और ओझा गुणी का आरोप आपस में गहराई से जुड़े हो सकते हैं। हमलावरों ने वृद्ध की हत्या करके न सिर्फ एक पुरानी रंजिश को खूनी अंजाम देना चाहा, बल्कि संभवतः जमीन के विवाद को हमेशा के लिए खत्म करने की भी योजना बनाई होगी।
कानून के बावजूद क्यों जारी है यह खूनी खेल?
झारखंड में 'डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 2001' लागू है, जो डायन बताकर किसी को प्रताड़ित करने पर कड़ी सजा का प्रावधान करता है। बावजूद इसके, पलामू सहित राज्य के कई इलाकों से लगातार डायन-बिसाही और ओझा-गुणी के नाम पर हत्या व मारपीट की ख़बरें आती रहती हैं। यह दिखाता है कि सिर्फ कानून बना देना काफ़ी नहीं है, बल्कि स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियानों को और अधिक प्रभावी बनाने की ज़रूरत है।
फिलहाल, MMCH चौकी पुलिस ने वृद्ध की पत्नी का बयान लेकर तरहसी पुलिस को जानकारी दी है। पुलिस ने तीनों हमलावरों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। इस मामले में दोषियों को कड़ी सजा मिलना अत्यंत आवश्यक है, ताकि समाज में अंधविश्वास और निजी रंजिश के नाम पर होने वाले इस खूनी खेल पर लगाम लगाई जा सके।
आपके अनुसार, झारखंड में इस तरह के अंधविश्वास आधारित हिंसा को जड़ से खत्म करने के लिए प्रशासन और समाज को क्या कदम उठाने चाहिए? कमेंट बॉक्स में अपने सुझाव ज़रूर दें।
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