नयीं कोंपल - अनामिका मिश्रा जी, जमशेदपुर
नयीं कोंपल - अनामिका मिश्रा जी, जमशेदपुर
नयीं कोंपल
राधिका की तबीयत अचानक बिगड़ गई। रोहित की मां को लगा कि शायद राधिका गर्भवती है... और सच में वह गर्भवती थी। मगर अचानक एक दिन, जब राधिका और रोहित रात को एक पार्टी से लौट रहे थे, उनका एक्सीडेंट हो गया और... पता चला कि राधिका का मिसकैरेज हो गया। डॉक्टर ने कहा, "अब वह दोबारा माँ नहीं बन सकती।" राधिका की सास को इस बात की बहुत फिक्र थी।
आज दोनों काशी से लौट रहे थे रोहित और राधिका। माँ का देहांत हो गया था। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार गंगा नदी के किनारे हो और अस्थि विसर्जन भी वहीं हो। राधिका की सास की बहुत इच्छा थी कि राधिका और रोहित की कोई संतान हो जाए, पर इच्छा पूरी नहीं हो सकी थी।
राधिका और रोहित लौटते वक्त मंदिर के दर्शन करने गए। दर्शन करके जब लौटने लगे तो उन्होंने देखा कि दो वर्ष की बच्ची वहाँ रो रही थी और अकेली बैठी हुई थी। राधिका और रोहित उसके पास गए और उससे पूछने लगे, "क्या हुआ? तुम अकेले यहाँ क्यों रो रही हो?"
उस बच्ची ने तुतलाते हुए कहा, "मेरे माता-पिता नहीं हैं। मेरी चाची सुबह मुझे यहाँ लाई थी और बैठाकर गई थी, कहकर कि वह प्रसाद लेकर आ रही है, पर वह अभी तक नहीं लौटी।" राधिका और रोहित सब समझ चुके थे। उन्होंने कहा, "चलो, तुम हमारे साथ हमारे घर चलो। तुम्हारी चाची अब नहीं आएगी।"
राधिका ने उस बच्ची के आँसू पोंछे, उसका माथा चूमा और उसे प्रसाद खिलाया। फिर उसे अपने साथ ले आई। वह सोचने लगी, "कल रात मैंने सपना देखा था जिसमें एक मुरझाया सूखा पौधा था छोटा सा और उसके बगल में ही एक नया पौधा नया कोंपल उग रहा था।"
ईश्वर ने नया कोंपल भी खिला दिया। कितने दयालु हैं भगवान। वह ईश्वर का हृदय से धन्यवाद देकर, आँखों में खुशी और गम के आँसू लिए उस बच्ची को लेकर ट्रेन में चढ़ गई।
स्वरचित अनामिका मिश्रा, जमशेदपुर
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