Nawada Controversy: पूर्व डीएम के काले कारनामों का भंडाफोड़, शस्त्र लाइसेंस की सूची मांगी

नवादा के पूर्व डीएम आशुतोष कुमार वर्मा के विवादित कार्यकाल के काले कारनामों का पर्दाफाश होने वाला है। आरटीआई के तहत शस्त्र लाइसेंसों की सूची मांगने से खुल सकते हैं चौंकाने वाले तथ्य।

Dec 1, 2024 - 17:34
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Nawada Controversy: पूर्व डीएम के काले कारनामों का भंडाफोड़, शस्त्र लाइसेंस की सूची मांगी
Nawada Controversy: पूर्व डीएम के काले कारनामों का भंडाफोड़, शस्त्र लाइसेंस की सूची मांगी

नवादा: बिहार के नवादा जिले में एक बड़ी राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल मच सकती है, क्योंकि पूर्व समाहर्ता आशुतोष कुमार वर्मा के विवादित कार्यकाल के कई काले कारनामों का पर्दाफाश होने वाला है। उनके कार्यकाल के आखिरी दिनों में शस्त्र लाइसेंसों के निर्गमन से जुड़े दस्तावेजों की जानकारी मांगने वाली सूचना के अधिकार (RTI) की याचिका ने जिले में एक नई चर्चा को जन्म दिया है।

आरटीआई कार्यकर्ता ने मांगी सूची

जिले के प्रमुख आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चिल ने जिला लोक सूचना अधिकारी से यह जानकारी मांगी है कि वर्मा ने अपने कार्यकाल के दौरान कितने शस्त्र लाइसेंस जारी किए। इस सूची में जारी लाइसेंसों की संख्या, धारकों के नाम और उनके ठिकानों की जानकारी शामिल करने की मांग की गई है। चर्चिल का कहना है कि इस जानकारी के आने के बाद यह स्पष्ट होगा कि वर्मा के कार्यकाल के दौरान किस तरह के विवादित फैसले लिए गए थे।

पूर्व डीएम की छवि पर सवाल

पूर्व डीएम आशुतोष कुमार वर्मा का कार्यकाल कई बार विवादों में रहा है। उनकी छवि पर कई बार सवाल उठ चुके हैं, लेकिन अब एक आरटीआई याचिका से उनके द्वारा किए गए संभावित गलत कामों का पर्दाफाश होने की संभावना है। माना जा रहा है कि सूची में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ सकती हैं, जो उनके कार्यकाल की काली सच्चाई को उजागर कर सकती हैं।

सूची के खुलने से क्या होगा?

सूची के सार्वजनिक होने के बाद न केवल वर्मा के कामकाज पर सवाल उठेंगे, बल्कि यह जिले में प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक बड़ी चाल भी हो सकती है। खास बात यह है कि लोक सूचना अधिकारी के लिए यह जानकारी देना अब अनिवार्य हो गया है, क्योंकि यह मामला जिले के सर्वोच्च अधिकारी से जुड़ा है। ऐसे में अगर सूची सामने आती है, तो निश्चित ही जिले में नई बहस छिड़ेगी।

भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की ओर एक कदम

यह मामला प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। अगर यह सूची सार्वजनिक होती है, तो यह अन्य अधिकारियों और नेताओं के लिए एक चेतावनी हो सकती है कि उनके कृत्यों की निगरानी और पारदर्शिता पर ध्यान रखा जाएगा।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया

जिले में इस घटना की खबर फैलते ही लोगों में इस विषय को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कई नागरिकों ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई है और कहा है कि यह समय है जब प्रशासन अपने निर्णयों में पूरी तरह से पारदर्शिता अपनाए। इस मामले को लेकर लोगों का मानना है कि अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए जाते हैं, तो यह समाज के लिए एक सकारात्मक बदलाव होगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।