मुंडारी, मुंडा जनजाति की भाषा है न की जाति – बुधराम लागुरी
मुंडारी, मुंडा जनजाति की भाषा है न की जाति – बुधराम लागुरी
मुंडारी, मुंडा जनजाति की भाषा है न की जाति – बुधराम लागुरी
क्या है मुंडारी जातीय विसंगति?
मुंडारी एक भाषा है, न कि जाति। केन्द्र और राज्य सरकार के किसी भी जातीय सूची में मुंडारी जाति अंकित नहीं है। कोल्हान प्रमंडल के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावाँ के मूल मुंडा जनजाति के सर्वे सेटेलमेंट के समय खतियान में मुंडारी जाति दर्ज होना आदिवासी के साथ धोखा है। मुंडारी जातीय विसंगति एक गंभीर मामला है। इसे निदान किए बगैर मूल मुंडा समाज का विकास असंभव है।
बुधराम लागुरी का वक्तव्य
डॉक्टर रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान, झारखंड सरकार रांची द्वारा आयोजित सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के बैठक को संबोधित करते हुए आदिवासी मुंडा समाज विकास समिति के केंद्रीय अध्यक्ष बुधराम लागुरी ने कहा कि मुंडारी, मुंडा जनजाति की भाषा है न की जाति। उन्होंने बताया कि इस जातीय विसंगति को दूर कर लोगों को न्याय देने की जरुरत है।
सरकार को आवेदन और मांगें
श्री लागुरी ने बताया कि 30 जून 2015 को समिति की ओर से सचिव, भू राजस्व विभाग, झारखंड सरकार को एक आवेदन लिखा गया था, जिसमें मांग की गई थी कि प्रमंडल के तीनों जिलों के अधिकांश गांव में मूल मुंडा जनजाति के लोगों के खतियानो में जाति मुंडारी अंकित हो गया है। इसलिए इस जातीय विसंगति को दूर करना आवश्यक है।
आठ वर्षों बाद आई खुशी की लहर
बुधराम लागुरी द्वारा सरकार को लिखा गया पत्र के आलोक में शोध संस्थान रांची ने 8 वर्षों बाद इस पर हो रही कार्रवाई से समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के किसी भी जातीय सूची में मुंडारी जाति अंकित नहीं होने के कारण मूल मुंडा जाति के लोगों को जाति प्रमाण पत्र कानूनन रूप में नहीं मिल रही है।
समाजसेवियों के विचार और सुझाव
शंकर सिंह मुंडारी का बयान
समाजसेवी शंकर सिंह मुंडारी ने कहा कि 1964 के सर्वे सेटेलमेंट में एक साजिश के तहत मूल मुंडा के खतियान में मुंडारी जाति अंकित किया गया, जिसके कारण अब कानूनन रूप से जाति प्रमाण पत्र बनाने में दिक्कत हो रही है। इस मामले को लेकर पूर्व में भी कई बार सरकार को स्थिति से अवगत कराया गया था।
सर्वेक्षण और शोध प्रतिवेदन
वर्ष 2002 में मुंडारी जातीय विसंगति को लेकर झारखंड सरकार के शोध संस्थान रांची से सहायक निदेशक श्री सोमा सिंह मुंडा के नेतृत्व में गांव-गांव जाकर शोध प्रतिवेदन तैयार किया गया था और पाया गया कि खतियान में दर्ज मुंडारी लोग मूल रूप से मुंडा वंशज के ही हैं।
समाज के प्रमुख व्यक्तियों की मौजूदगी
इस बैठक में पान/तांती समाज के राजू पान, कृष्णा चंद्र मुंडारी, कुंपाट मुंडा समाज के अध्यक्ष नंदलाल मुंडारी, उपाध्यक्ष जयराम मुंडारी, सचिव साधुचरण समद, पूर्ण चंद्र पड़ेया, लक्ष्मण सोय, शशि नाग, रामचंद्र हेंब्रम, बीरेंद्र हेंब्रम, लक्ष्मण मुंडारी, भगवान विरगम समेत काफी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे।
मुंडा समाज का भविष्य
मुंडा समाज की वर्तमान स्थिति और भविष्य के विकास के लिए इस जातीय विसंगति का निदान अत्यंत आवश्यक है। समाज के लोगों को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सतर्क रहना होगा और सरकार से न्याय की मांग करनी होगी।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1: मुंडारी क्या है?
Ans: मुंडारी, मुंडा जनजाति की भाषा है न कि जाति।
2: मुंडारी जातीय विसंगति क्या है?
Ans:मुंडारी जातीय विसंगति तब होती है जब मुंडा जनजाति के लोगों के खतियान में मुंडारी जाति दर्ज होती है, जो कि गलत है।
3: इस विसंगति को दूर करने के प्रयास क्या हैं?
Ans: बुधराम लागुरी और समाज के अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाया और 8 वर्षों बाद इस पर कार्रवाई हो रही है।
4: मुंडा समाज का भविष्य क्या है?
Ans: मुंडा समाज का भविष्य इस जातीय विसंगति के निदान पर निर्भर करता है। इसके बिना समाज का विकास संभव नहीं है।
5: मुंडा समाज के लोग कैसे न्याय प्राप्त कर सकते हैं?
Ans: मुंडा समाज के लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सतर्क रहें और सरकार से न्याय की मांग करें।
6: मुंडा समाज के विकास के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
Ans: मुंडा समाज के विकास के लिए आवश्यक है कि जातीय विसंगति को दूर किया जाए और समाज के लोगों को सही पहचान मिले।
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