Khunti Accident : देर रात बुलेट सवार की खड़ी पिकअप से टक्कर, 21 वर्षीय शीतल की दर्दनाक मौत
खूंटी में देर रात बुलेट और खड़ी पिकअप की जोरदार टक्कर में 21 वर्षीय शीतल कश्यप की मौत हो गई। हादसा भगत सिंह चौक पेट्रोल पंप के पास हुआ। पुलिस ने वाहनों को जब्त कर जांच शुरू की।

खूंटी-तोरपा पथ मंगलवार की रात अचानक चीख-पुकार और अफरा-तफरी के माहौल में बदल गया, जब भगत सिंह चौक पेट्रोल पंप के पास एक बुलेट सवार युवक ने सड़क किनारे खड़ी पिकअप वैन में जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि 21 वर्षीय शीतल कुमार कश्यप की मौके पर ही हालत गंभीर हो गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
कैसे हुआ हादसा?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शीतल रात में बुलेट पर सवार होकर खूंटी से अपने गांव बेलवादाग लौट रहा था। सड़क सुनसान थी, रोशनी कम थी और शायद गति तेज। इसी दौरान सड़क किनारे खड़ी पिकअप उसकी नजर में देर से आई और बुलेट सीधा उससे टकरा गई। टक्कर के बाद शीतल सड़क पर गिर पड़ा और गंभीर रूप से घायल हो गया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना पास के पेट्रोल पंप कर्मचारियों ने दी, जिसके बाद पुलिस की गश्ती टीम मौके पर पहुंची। घायल शीतल को सदर अस्पताल खूंटी ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने तमाम कोशिशों के बावजूद उसे बचा नहीं सके।
युवक की पहचान और पृष्ठभूमि
मृतक शीतल कुमार कश्यप खूंटी जिले के बेलवादाग गांव का निवासी था। उसने हाल ही में बिरसा कॉलेज, खूंटी से स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी और फिलहाल घर पर रहकर आगे की योजना बना रहा था। पढ़ाई में तेज और दोस्तों में मिलनसार स्वभाव के लिए जाना जाने वाला शीतल अब सिर्फ यादों में रह गया है।
परिजनों का मातम
जैसे ही यह खबर गांव पहुंची, माहौल मातमी हो गया। अस्पताल में बेटे का शव देखते ही मां-बाप और रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। ग्रामीणों की भीड़ अस्पताल और बाद में शीतल के घर पर जुट गई।
पुलिस की जांच और जब्त वाहन
पुलिस ने हादसे में शामिल बुलेट और पिकअप दोनों वाहनों को जब्त कर लिया है। जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पिकअप वहां क्यों खड़ी थी और क्या सड़क पर पर्याप्त चेतावनी चिन्ह थे या नहीं।
खूंटी में सड़क हादसों का पुराना इतिहास
खूंटी-तोरपा मार्ग पहले भी कई दर्दनाक हादसों का गवाह रह चुका है। स्थानीय लोग बताते हैं कि सड़क किनारे वाहन खड़े करने और पर्याप्त स्ट्रीट लाइट न होने की वजह से यहां हादसों की संभावना ज्यादा रहती है। कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद, यह समस्या जस की तस बनी हुई है।
सड़क सुरक्षा पर फिर सवाल
शीतल की मौत ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा और प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या रात में गश्त और सड़क पर खड़े वाहनों पर सख्ती की जरूरत है? क्या हाईवे पर रोशनी और संकेत चिह्नों की कमी ही इन हादसों की बड़ी वजह है? एक चूक, और खत्म हुई एक जिंदगी
21 साल की उम्र, सपनों और योजनाओं से भरी हुई जिंदगी, और पल भर में सब खत्म। खूंटी का यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि सड़क पर हर लापरवाही का घातक नतीजा है। सवाल ये है — क्या इस दर्दनाक हादसे के बाद सड़क सुरक्षा के नियम सिर्फ कागजों से निकलकर हकीकत में बदलेंगे? या फिर अगली बार किसी और शीतल की कहानी सुर्खियों में होगी?
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