Karnataka Reservation: कर्नाटक सरकार के फैसले पर भड़का राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, चुनावी मौसम में गरमाई सियासत!

कर्नाटक सरकार के मुस्लिमों को OBC कोटा देने के फैसले पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने जताई आपत्ति! जानें क्यों बढ़ा विवाद और क्या होगा इसका असर?

Mar 22, 2025 - 16:21
Mar 22, 2025 - 16:24
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Karnataka Reservation: कर्नाटक सरकार के फैसले पर भड़का राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, चुनावी मौसम में गरमाई सियासत!
Karnataka Reservation: कर्नाटक सरकार के फैसले पर भड़का राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, चुनावी मौसम में गरमाई सियासत!

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय को OBC आरक्षण देने का फैसला अब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के निशाने पर आ गया है। आयोग ने इस निर्णय को सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है और कहा कि यह अन्य पिछड़ी जातियों के अधिकारों का हनन करता है।

लोकसभा चुनावों के इस दौर में यह फैसला राजनीतिक हलचल बढ़ा सकता है, क्योंकि विपक्ष ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया है। वहीं, राज्य सरकार अपने फैसले को सामाजिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम बता रही है।

मुस्लिमों को OBC कोटा क्यों दिया गया?

कर्नाटक में मुस्लिमों की आबादी लगभग 13% है। कांग्रेस सरकार ने हाल ही में फैसला लिया कि राज्य में मुस्लिम समुदाय की सभी जातियों और समूहों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा मानकर OBC कैटेगरी में शामिल किया जाएगा। इससे उन्हें—
सरकारी नौकरियों में कोटा
शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण
अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ
मिल सकेगा।

राज्य सरकार के अनुसार, मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्ग सदियों से हाशिए पर रहे हैं और उन्हें भी सामाजिक न्याय मिलना चाहिए।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग क्यों कर रहा विरोध?

NCBC ने इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि—
OBC कोटा धर्म के आधार पर नहीं दिया जा सकता।
 यह अन्य पिछड़ी जातियों के अधिकारों को छीनने जैसा है।
 मुस्लिम समाज के सभी समूह एकसमान पिछड़े नहीं हो सकते।

आयोग के अनुसार, 17 जातियों को कैटेगरी-1 और 19 जातियों को कैटेगरी-2A में शामिल कर दिया गया है, जिससे वास्तविक पिछड़ी जातियों के हक पर असर पड़ा है।

क्यों उठा विवाद? जानें ऐतिहासिक संदर्भ

भारत में आरक्षण नीति का उद्देश्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े समुदायों को समान अवसर देना है। परंतु, संविधान के मुताबिक—
आरक्षण जाति आधारित हो सकता है, धर्म आधारित नहीं।
मंडल कमीशन (1990) ने भी मुस्लिम समुदाय की कुछ जातियों को OBC कैटेगरी में रखा था, लेकिन पूरे समुदाय को नहीं।
सुप्रीम कोर्ट पहले भी कह चुका है कि आरक्षण देने में सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को आधार बनाना होगा, न कि मजहब को।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

कांग्रेस सरकार का बचाव: मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के वंचित तबके को समान अधिकार देना है।
भाजपा का हमला: बीजेपी ने इसे ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ बताते हुए कहा कि सरकार चुनावी फायदे के लिए OBC वर्ग को कमजोर कर रही है।
जेडीएस का बयान: जनता दल सेक्युलर ने इस फैसले को संविधान विरोधी करार दिया और न्यायालय जाने की चेतावनी दी।

क्या हो सकते हैं इसके परिणाम?

कानूनी लड़ाई: यह मामला अब अदालत में जा सकता है, जहां न्यायालय तय करेगा कि क्या यह निर्णय संविधान के अनुरूप है या नहीं।
राजनीतिक प्रभाव: लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा बड़ा राजनीतिक हथियार बन सकता है।
सामाजिक असंतोष: अन्य पिछड़ी जातियां इसे अपने हक पर चोट मान सकती हैं, जिससे राज्य में सामाजिक तनाव बढ़ सकता है।

कर्नाटक सरकार का यह फैसला न सिर्फ चुनावी मौसम में सियासी तापमान बढ़ा रहा है, बल्कि संविधान, न्याय और सामाजिक संतुलन पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा अदालत और चुनावी राजनीति में क्या नया मोड़ लेता है!

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।