Delhi Mystery: जस्टिस वर्मा के बंगले से ‘नकदी’ पर बवाल, फायर ब्रिगेड ने दिया चौंकाने वाला बयान!
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले से नकदी मिलने के दावे पर बवाल! फायर ब्रिगेड ने किया इनकार, सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई जांच रिपोर्ट। जानें पूरा मामला!

दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस यशवंत वर्मा इन दिनों गंभीर विवाद में फंस गए हैं। खबरें आईं कि उनके सरकारी बंगले से भारी मात्रा में नकदी मिली, जिसने पूरे देश में हलचल मचा दी। लेकिन अब इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है—दिल्ली फायर ब्रिगेड ने इस दावे से इनकार कर दिया है!
कैसे खुला ‘नकदी’ का मामला?
14 मार्च की रात होली के मौके पर, जब दिल्ली में रंगों की धूम थी, तभी लुटियंस दिल्ली में स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की सूचना मिली।
रात 11:35 बजे: कंट्रोल रूम को आग लगने की जानकारी मिली।
रात 11:43 बजे: दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं।
15 मिनट में आग पर काबू पाया गया।
इसके बाद मीडिया में सनसनीखेज खबरें फैलीं कि आग बुझाने के दौरान बंगले में ‘नकदी’ देखी गई। मामला तूल पकड़ता इससे पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने इस घटना की जांच शुरू कर दी।
CJI को सौंपी गई रिपोर्ट, क्या होगा अगला कदम?
दिल्ली हाई कोर्ट की जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना को सौंप दी गई है। अब सवाल उठ रहा है कि—
क्या जस्टिस वर्मा पर कार्रवाई होगी?
क्या यह भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है?
या यह सिर्फ एक ‘अफवाह’ थी?
फायर ब्रिगेड का बड़ा खुलासा—‘कोई नकदी नहीं मिली’
दिल्ली फायर डिपार्टमेंट के चीफ अतुल गर्ग ने इस मामले में बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है—
आग सिर्फ स्टेशनरी और घरेलू सामान के स्टोर रूम में लगी थी।
हमारे दमकल कर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली।
हमने आग बुझाने के तुरंत बाद पुलिस को सूचना दी थी।
अब सवाल उठता है कि आखिर नकदी की खबरें कहां से आईं? क्या किसी ने जानबूझकर जस्टिस वर्मा को फंसाने की कोशिश की? या फिर कोई बड़ा घोटाला दबाने की साजिश चल रही है?
जस्टिस वर्मा का तबादला—इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का फैसला!
20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक में जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर का प्रस्ताव रखा गया। अब उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजा जा रहा है। लेकिन यह ट्रांसफर भी विवादों में आ गया है!
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने खोला मोर्चा!
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस ट्रांसफर का जबरदस्त विरोध किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा—
"इलाहाबाद हाई कोर्ट कोई कूड़ाघर नहीं है, जहां भ्रष्टाचार में फंसे जजों को भेजा जाए!"
"हम इस फैसले के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएंगे!"
क्या है जस्टिस वर्मा का इतिहास?
2021 में दिल्ली हाई कोर्ट में नियुक्ति हुई थी।
वर्तमान में GST, बिक्री कर और कंपनी अपील से जुड़े केसों की सुनवाई कर रहे थे।
दिल्ली हाई कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं।
अब आगे क्या होगा?
क्या जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई होगी?
क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करेगा?
क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट में उनका ट्रांसफर रद्द होगा?
इन सवालों के जवाब अभी भविष्य के गर्भ में हैं, लेकिन इतना तय है कि यह मामला जल्द ठंडा नहीं पड़ेगा!
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