Singhbhum Seva Camp: सीआरपीएफ का मुफ्त चिकित्सा शिविर, ग्रामीणों को मिला जीवनरक्षक इलाज

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के नक्सल प्रभावित गांवों में CRPF की 60वीं बटालियन ने मेडिकल कैंप का आयोजन किया। इस मुफ्त चिकित्सा शिविर में सैकड़ों ग्रामीणों को इलाज, दवाइयाँ और परामर्श मिला। जानिए पूरी खबर!

Mar 6, 2025 - 19:29
Mar 6, 2025 - 19:39
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Singhbhum Seva Camp: सीआरपीएफ का मुफ्त चिकित्सा शिविर, ग्रामीणों को मिला जीवनरक्षक इलाज
Singhbhum Seva Camp: सीआरपीएफ का मुफ्त चिकित्सा शिविर, ग्रामीणों को मिला जीवनरक्षक इलाज

पश्चिमी सिंहभूम: नक्सल प्रभावित क्षेत्र गोइलकेरा में सीआरपीएफ की 60वीं बटालियन ने ग्रामीणों के लिए एक अनोखी पहल की। सोएतबा गांव में आयोजित निःशुल्क चिकित्सा शिविर में सैकड़ों ग्रामीणों ने लाभ उठाया। यह शिविर बटालियन के कमांडेंट अंबुज मुथाल के निर्देश पर सेकेंड कमान अधिकारी की उपस्थिति में आयोजित किया गया। इस अवसर पर चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक कुमार ने ग्रामीणों की जांच कर उन्हें जरूरी परामर्श दिया और मुफ्त में दवाइयाँ भी उपलब्ध कराईं।

स्वास्थ्य सेवा अब गाँवों के द्वार पर

ग्रामीण इलाकों में अक्सर स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी होती है। विशेष रूप से पश्चिमी सिंहभूम के दूरदराज के गाँवों में, जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचना भी चुनौतीपूर्ण होता है, ऐसे शिविर वरदान साबित होते हैं। सीआरपीएफ की इस पहल का उद्देश्य ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ना और जनकल्याण को बढ़ावा देना है। शिविर में रांगामाटी, नुगरी, बंग्लाटोला, गिरजाटोला, बासासाई, बंदाटोला, माछूटोला, पंडासुकवा, लागुरीसाई जैसे क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग पहुँचे।

इतिहास की झलक: सुरक्षा बल और जनकल्याण की परंपरा

सीआरपीएफ केवल सुरक्षा अभियानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। अतीत में भी नक्सल प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य, शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाकर सीआरपीएफ ने जनता से मजबूत संबंध बनाए हैं। इस बार भी चिकित्सा शिविर का उद्देश्य न केवल स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना था, बल्कि स्थानीय लोगों के साथ सहयोग और विश्वास का रिश्ता मजबूत करना भी था।

मुफ्त इलाज और दवाइयाँ, ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कान

इस शिविर में डॉक्टरों ने ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, बुखार, कमजोरी, कुपोषण जैसी बीमारियों की जांच की और रोगियों को आवश्यक दवाइयाँ दीं। जिन मरीजों को विशेष देखभाल की जरूरत थी, उन्हें बड़े अस्पतालों में रेफर किया गया। ग्रामीणों ने सीआरपीएफ की इस पहल की सराहना की और इसे गाँवों के लिए एक बड़ी राहत बताया।

स्थानीय लोगों के लिए वरदान साबित हो रही यह पहल

गोइलकेरा के ग्रामीणों ने बताया कि इस तरह की स्वास्थ्य सेवाएँ मिलना उनके लिए किसी उपहार से कम नहीं। पहले उन्हें सामान्य बीमारियों के लिए भी कई किलोमीटर दूर जाकर इलाज कराना पड़ता था लेकिन अब सीआरपीएफ की पहल से चिकित्सा सुविधा उनके द्वार पर उपलब्ध हो रही है।

भविष्य में भी जारी रहेगा सहयोग

सीआरपीएफ अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के चिकित्सा शिविरों का आयोजन आगे भी किया जाएगा ताकि जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँच सकें।

गाँवों में स्वास्थ्य क्रांति की नई शुरुआत

सीआरपीएफ की यह पहल साबित करती है कि सुरक्षा और सेवा साथ-साथ चल सकते हैं। यह सिर्फ एक स्वास्थ्य शिविर नहीं था, बल्कि ग्रामीणों और सुरक्षा बलों के बीच विश्वास और सहयोग का सेतु भी बना। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में और भी ऐसे प्रयास देखने को मिल सकते हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होंगे।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।