Jharkhand Labor Law: श्रमिकों के अधिकारों में जबरदस्त बदलाव, जानें कैसे मिलेगा फायदा!
झारखंड में श्रमिकों के लिए चार नए श्रम कानूनों की नियमावली तैयार, यह बदलाव कैसे करेगा उनके जीवन को आसान, जानें पूरी जानकारी।

Jharkhand श्रमिकों के लिए सबसे बड़ा बदलाव! राज्य सरकार श्रमिकों के हित में ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। झारखंड के संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए राज्य सरकार चार प्रमुख श्रम कानूनों की नई नियमावली लाने वाली है, जो श्रमिकों के जीवन में एक नया मोड़ ला सकती है। इस बदलाव का उद्देश्य श्रमिकों को सुरक्षित, स्वस्थ और बेहतर कार्य परिस्थितियां प्रदान करना है।
भारत सरकार ने पहले ही 29 श्रम कानूनों को चार संहिता में समाहित किया था, अब झारखंड सरकार भी लगभग 15 श्रम कानूनों को चार प्रमुख नियमावली में मर्ज करने जा रही है। इस पहल का नाम दिया गया है:
- ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन (झारखंड)
- इंडस्ट्रियल रिलेशन (झारखंड)
- वर्कर्स वेजेस (झारखंड)
- सोशल सिक्योरिटी (झारखंड)
क्या है इन नियमावली का महत्व?
इन नियमावलियों के जरिए श्रमिकों को बेहतर कार्य स्थितियों, सेहत, सुरक्षा और सभी प्रकार की सहूलत मिल सकेगी। यह बदलाव सिर्फ कागजी नहीं, बल्कि श्रमिकों के वास्तविक जीवन में बदलाव लाने वाला होगा। इन चार नियमावलियों के लिए विधि विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद इसे जल्द ही कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा।
2021 में शुरू हुई पहल: इससे पहले, वर्ष 2021 में श्रम विभाग ने इन चार नियमावलियों के ड्राफ्ट को नोटिफाइड गजट के रूप में जारी किया था। इसमें आम लोगों से आपत्ति और सुझाव भी मांगे गए थे। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य यह था कि श्रमिकों के अधिकारों की बेहतर सुरक्षा हो और उन्हें हर प्रकार की सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिले।
आखिरकार क्या बदलाव होंगे?
इन नियमावलियों के तहत झारखंड में श्रमिकों के लिए बीमा, पेंशन, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ जैसे अधिकारों को सुरक्षित किया जाएगा। इसमें झारखंड कर्मकार प्रतिकर नियमावली-1924, झारखंड प्रसूति सुविधा नियमावली-1964, और कई अन्य पुराने नियमों को भी मर्ज किया जाएगा।
इसके साथ ही राज्य में सोशल सिक्योरिटी का एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा, जिससे श्रमिकों को पूरी तरह से इसका लाभ मिलेगा। इन बदलावों से श्रमिकों को न केवल अधिकार मिलेंगे बल्कि उनके काम करने की स्थितियों में भी सुधार होगा।
औद्योगिक विवाद से लेकर न्यूनतम मजदूरी तक: इस नियमावली में औद्योगिक विवादों और श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी के अधिकारों पर भी ध्यान दिया जाएगा। इससे पूर्व के दो श्रम कानूनों - झारखंड मजदूरी भुगतान नियमावली-1937 और झारखंड न्यूनतम मजदूरी नियमावली-1951 को मर्ज कर एक नया कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा, ताकि श्रमिकों को उनकी मेहनत का उचित भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।
भविष्य के लिए क्या योजनाएं हैं?
नई नियमावली में, झारखंड कारखाना नियमावली-1950, झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन का विनियमन एवं सेवाशर्त) नियमावली-2006, और झारखंड मोटर परिवहन कर्मचारी नियमावली-2001 जैसे पुराने कानूनों को एक साथ मर्ज किया जाएगा। इस बदलाव का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों जैसे कारखाना, खनन, कंस्ट्रक्शन, और बीड़ी-सिगार श्रमिकों के हितों को पूरी तरह से संरक्षित करना है।
एक कदम और आगे: झारखंड सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि श्रमिकों के कार्यस्थल पर कोई भी विवाद न हो, और उनके हितों की पूरी रक्षा की जा सके। इसके लिए औद्योगिक इकाइयों और श्रमिकों के बीच तालमेल बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, श्रमिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षा के उपाय भी सुनिश्चित किए जाएंगे।
केंद्र सरकार के साथ तालमेल: इस कानून के तहत झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर चार्टर्ड नियमावली तैयार करने के लिए एक क्षेत्रीय बैठक का आयोजन भी किया था। इसमें राज्यों और केंद्र के श्रम विभाग के अधिकारियों ने एक मंच पर आकर श्रम कानूनों के मसौदे पर चर्चा की थी।
झारखंड सरकार की यह पहल श्रमिकों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकती है। चार नई नियमावलियों के जरिए श्रमिकों को बेहतर कामकाजी माहौल, सम्मानजनक काम करने के अवसर और सभी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा का अधिकार मिल सकेगा। इस बदलाव से झारखंड में श्रमिकों के जीवन स्तर में काफी सुधार होने की उम्मीद है।
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