Special Education: झारखंड में विशेष शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक मील का पत्थर, नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय ने दिया पी.एच.डी. की उपाधि
झारखंड में पहली बार विशेष शिक्षा के क्षेत्र में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त करने वाली शोधार्थी सरस्वती बेज के बारे में जानें और नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक उपलब्धि पर एक नजर डालें।
रांची, झारखंड: शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा नये मानक स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग के द्वारा झारखंड में पहली बार विशेष शिक्षा के क्षेत्र में पी.एच.डी. की उपाधि दी गई है। यह उपाधि प्राप्त करने वाली शोधार्थी सरस्वती बेज हैं, जिन्होंने बौद्धिक दिव्यांगता वाले छात्रों की सामाजिक परिपक्वता और समस्या व्यवहार के संबंध में अकादमिक उपलब्धि पर अपने शोध को प्रस्तुत किया।
नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान
नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय का यह कदम न केवल झारखंड राज्य के लिए एक नई दिशा दर्शाता है, बल्कि यह विशेष शिक्षा के क्षेत्र में अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है। इस उपलब्धि का श्रेय विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. जय प्रकाश सिंह को जाता है, जो पिछले 16 वर्षों से पुनर्वास और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहे हैं। डॉ. सिंह के मार्गदर्शन में किए गए शोध और अध्ययन ने झारखंड को विशेष शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाई है।
शिक्षाशास्त्र विभाग की सफलता की कहानी
शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रमुख डॉ. ज्योति प्रकाश स्वाईं ने इस ऐतिहासिक सफलता के बारे में अधिक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय पुनर्वास परिषद (नई दिल्ली) और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सहयोग से, नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय ने विशेष शिक्षा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। डॉ. स्वाईं ने यह भी बताया कि डॉ. जय प्रकाश सिंह ने उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कई वर्षों तक विशेष शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापन कार्य किया है और अब वह इस क्षेत्र को झारखंड में नई दिशा देने में सफल रहे हैं।
पी.एच.डी. शोध का विषय और महत्व
सरस्वती बेज ने अपनी पी.एच.डी. के लिए बौद्धिक दिव्यांगता वाले छात्रों की सामाजिक परिपक्वता और समस्या व्यवहार के संबंध में अकादमिक उपलब्धि पर गहन शोध किया। उनका शोध विशेष रूप से दिव्यांग छात्रों की शिक्षा में सुधार की दिशा में अहम कदम साबित हो सकता है। उनके शोध के परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि दिव्यांग छात्रों की सामाजिक और शैक्षिक परिपक्वता पर उनके व्यवहारिक मुद्दों का गहरा प्रभाव पड़ता है।
डॉ. जय प्रकाश सिंह की योगदान और मार्गदर्शन
डॉ. जय प्रकाश सिंह की शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण को सभी ने सराहा। उनका मार्गदर्शन सरस्वती बेज के शोध को शिखर तक पहुंचाने में निर्णायक साबित हुआ। डॉ. सिंह भारतीय पुनर्वास परिषद (नई दिल्ली) के पंजीकृत पुनर्वास व्यवसायी भी हैं, जिनका केंद्रीय पुनर्वास पंजिका संख्या A-20735 है। उनके मार्गदर्शन में झारखंड में विशेष शिक्षा के क्षेत्र में कई नई पहल की गई हैं, जो आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण साबित होंगी।
कुलसचिव की प्रतिक्रिया
नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलसचिव नागेंद्र सिंह ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, "नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा से समर्पित संस्थान रहा है। हम आशा करते हैं कि डॉ. प्रकाश के नेतृत्व में विश्वविद्यालय आने वाले समय में और अधिक सफलताएँ हासिल करेगा।" कुलसचिव ने यह भी कहा कि इस तरह की उपलब्धियाँ विश्वविद्यालय और खासकर शिक्षाशास्त्र विभाग के संकाय सदस्य की मेहनत और समर्पण का परिणाम हैं।
नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय ने एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान को साबित किया है। विशेष शिक्षा के क्षेत्र में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त करने वाली सरस्वती बेज की सफलता से यह स्पष्ट होता है कि विशेष शिक्षा के क्षेत्र में झारखंड लगातार प्रगति कर रहा है। इस उपलब्धि से विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग के समर्पण और डॉ. जय प्रकाश सिंह की भूमिका को भी एक नई पहचान मिली है। यह उपलब्धि ना सिर्फ झारखंड, बल्कि समूचे देश में विशेष शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
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