Jharkhand Mapping: 49 शहरी निकायों की होगी ड्रोन मैपिंग, टैक्स वसूली में होगा बड़ा सुधार!
झारखंड में 49 शहरी निकायों का ड्रोन लेडार सर्वे किया जाएगा। जानिए कैसे यह तकनीक टैक्स वसूली बढ़ाने और शहरी विकास में सुधार लाने में मदद करेगी।
रांची : झारखंड में शहरी विकास को नई दिशा देने के लिए ड्रोन लेडार सर्वे का उपयोग किया जाएगा। इस तकनीक की मदद से 49 शहरी निकायों का डिजिटल मैप तैयार किया जाएगा, जो न केवल टैक्स वसूली बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि शहरी नियोजन को भी आधुनिक बनाएगा। यह पहल झारखंड को स्मार्ट टेक्नोलॉजी की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाने का संकेत देती है।
क्या है ड्रोन लेडार सर्वे?
ड्रोन लेडार सर्वे एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें ड्रोन (यूएवी) का उपयोग करके जमीन की सतह का 3डी मॉडल तैयार किया जाता है। इसमें ड्रोन पर लगे लेडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) सेंसर से जमीन पर लेजर पल्स भेजे जाते हैं और वापस आने वाले पल्स का मापन किया जाता है। इसके जरिए जमीन, भवनों और अन्य संरचनाओं की सटीक जानकारी प्राप्त होती है।
झारखंड में क्यों है इसकी जरूरत?
झारखंड में अभी तक केवल 2.30 लाख घरों से ही होल्डिंग टैक्स वसूला जा रहा है, जबकि अनुमान है कि अकेले रांची में ही 70 हजार अतिरिक्त घर टैक्स दायरे में आ सकते हैं। इन सभी घरों को पहचानने और टैक्स कलेक्शन को बेहतर बनाने के लिए ड्रोन लेडार सर्वे का सहारा लिया जाएगा।
इतिहास और पृष्ठभूमि
झारखंड में शहरी निकायों का इतिहास 2000 में राज्य बनने के बाद तेजी से विकसित हुआ। लेकिन कर प्रणाली में पारदर्शिता और सटीकता की कमी के कारण टैक्स वसूली हमेशा एक चुनौती रही है। अब ड्रोन लेडार सर्वे के जरिए इस चुनौती को दूर करने की योजना बनाई जा रही है।
डिजिटल डैशबोर्ड का होगा उपयोग
नगर विकास एवं आवास मंत्री सुदिव्य कुमार ने बताया कि ड्रोन सर्वे के बाद डिजिटल डैशबोर्ड पर सभी डेटा उपलब्ध होगा। इससे यह पता चल सकेगा कि भवनों का निर्माण दिए गए एनओसी के अनुसार हुआ है या नहीं। नए निर्माण को आसानी से चिन्हित किया जा सकेगा, जिससे होल्डिंग टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी।
कैसे बदलेगी टैक्स वसूली की प्रक्रिया?
ड्रोन लेडार सर्वे से टैक्स वसूली में कई सुधार होंगे:
- असली आंकड़ों पर आधारित वसूली: अब सभी भवनों और जमीनों की सही जानकारी उपलब्ध होगी।
- टैक्स चोरी पर रोक: ऐसे भवनों को चिन्हित किया जाएगा जो अधूरे दिखाकर टैक्स से बचने की कोशिश करते हैं।
- नए भवनों की पहचान: जिन नए भवनों का निर्माण किया गया है, उन्हें टैक्स दायरे में लाया जाएगा।
विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग
ड्रोन लेडार सर्वे न केवल टैक्स वसूली के लिए बल्कि शहरी नियोजन, आपदा प्रबंधन, सड़क निर्माण, और खनिज संसाधनों के सर्वेक्षण में भी उपयोगी साबित हो सकता है।
सरकार की तैयारी
सर्वे के लिए केंद्र सरकार की गरुड़ कंपनी से बात की जा रही है। यह सर्वे न केवल झारखंड में बल्कि पूरे देश में शहरी विकास के लिए एक मॉडल साबित हो सकता है।
ड्रोन तकनीक: भविष्य की झलक
ड्रोन तकनीक न केवल प्रशासन को पारदर्शी और सटीक बनाएगी बल्कि शहरी विकास को भी नई दिशा देगी। डिजिटल झारखंड की ओर यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
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