Jamshedpur FCI Workers : जमशेदपुर में श्रमिकों का स्थानांतरण विवाद: क्या यह राजनीतिक षड्यंत्र है या प्रशासनिक चूक?

जमशेदपुर में भारतीय खाद्य निगम के 179 श्रमिकों के स्थानांतरण पर सांसद विद्युत वरण महतो ने केंद्रीय मंत्री से की मुलाकात, जानिए क्या है पूरा मामला और कैसे इसने कर्मचारियों को प्रभावित किया।

Dec 13, 2024 - 20:04
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Jamshedpur FCI Workers : जमशेदपुर में श्रमिकों का स्थानांतरण विवाद: क्या यह राजनीतिक षड्यंत्र है या प्रशासनिक चूक?
Jamshedpur FCI Workers : जमशेदपुर में श्रमिकों का स्थानांतरण विवाद: क्या यह राजनीतिक षड्यंत्र है या प्रशासनिक चूक?

जमशेदपुर में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के 179 श्रमिकों के स्थानांतरण का मामला अब एक बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक विवाद बन चुका है। इस मुद्दे को लेकर आज जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले खाद एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी से मुलाकात की और इस अप्रत्याशित आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की। इस घटना ने झारखंड की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है, और अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह स्थानांतरण किसी राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है, या फिर यह प्रशासनिक चूक है?

क्या था मामला?

सांसद श्री महतो ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि जमशेदपुर के भारतीय खाद्य निगम (FCI) के खाद्य संग्रह भंडार में कार्यरत 179 विभागीय श्रमिकों का अचानक स्थानांतरण 7 अक्टूबर 2023 को किया गया। इन श्रमिकों में सरदार, मंडल, श्रमिक और सहायक श्रमिक शामिल हैं। इन्हें तुरंत प्रभाव से विरमित भी कर दिया गया था, और इन श्रमिकों को जसीडीह और धनबाद भेज दिया गया, जबकि जमशेदपुर में उनकी सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता थी।

स्थायी श्रमिकों की अनदेखी: क्या ठेकेदारों को फायदा पहुँचाया गया?

सांसद महतो ने यह भी आरोप लगाया कि जमशेदपुर के FCI गोदाम में पर्याप्त काम उपलब्ध होने के बावजूद स्थायी मजदूरी को हटाकर ठेकेदारों को काम सौंपा गया है। इससे न केवल श्रमिकों के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, बल्कि यह भारतीय खाद्य निगम को भी वित्तीय नुकसान पहुँचा रहा है। इतना ही नहीं, इस स्थानांतरण ने श्रमिकों को मानसिक और सामाजिक दृष्टि से भी परेशान कर दिया है, क्योंकि अधिकांश श्रमिकों के परिवार और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई यहीं चल रही है।

स्वेच्छिक सेवा निवृत्ति लेने पर मजबूर श्रमिक

यह स्थानांतरण केवल प्रशासनिक त्रुटि का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके कारण कई श्रमिकों को अपने परिवार के भरण-पोषण और जीवन की स्थिरता पर सवाल उठने लगे। कुछ श्रमिकों ने तो स्वेच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली है, क्योंकि उनकी सेवा अवधि अब समाप्ति की ओर बढ़ रही थी। इन श्रमिकों का मानना है कि यह स्थानांतरण उन्हें मानसिक तनाव में डालने के साथ-साथ उनके भविष्य को भी अंधकारमय कर रहा है।

सांसद महतो की मांग: निष्पक्ष जांच और स्थानांतरण आदेश की वापसी

सांसद महतो ने इस मुद्दे की व्यापक जांच की मांग की और पूछा कि आखिरकार किन कारणों से स्थायी श्रमिकों के रहते हुए वही काम निजी ठेकेदारों को सौंपा गया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि स्थानांतरण आदेश को अविलंब निरस्त किया जाए और सभी श्रमिकों को जमशेदपुर में ही काम पर वापस बुलाया जाए। महतो का कहना था कि इस स्थानांतरण के पीछे की सच्चाई सामने आनी चाहिए, ताकि कर्मचारियों के हितों का पूरी तरह से संरक्षण हो सके।

केंद्रीय मंत्री का आश्वासन: ठोस कार्रवाई का भरोसा

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और आश्वासन दिया कि उचित जांच के बाद ठोस कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को उच्चस्तरीय जांच के लिए भेजा जाएगा, ताकि कोई भी कर्मचारी इसके परिणामस्वरूप मानसिक और सामाजिक रूप से प्रभावित न हो।

क्या यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक है या कुछ और?

जमशेदपुर में इस विवाद ने अब सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक है, या फिर इसके पीछे कुछ और राजनीति भी है। आने वाले दिनों में इस मामले पर अधिक रोशनी डालने की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह न केवल कर्मचारियों के हितों से जुड़ा है, बल्कि इससे पूरे राज्य की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

जमशेदपुर के भारतीय खाद्य निगम के श्रमिकों का स्थानांतरण अब एक बड़ी राजनीतिक और प्रशासनिक बहस का विषय बन चुका है। जहां एक ओर यह स्थानांतरण कर्मचारियों के लिए मानसिक तनाव का कारण बना है, वहीं दूसरी ओर यह भारतीय खाद्य निगम के वित्तीय नुकसान का भी कारण बन सकता है। इस मुद्दे पर जो प्रतिक्रिया मिल रही है, वह यह बताती है कि जमशेदपुर और झारखंड में इस प्रकार के विवादों के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।