Jamshedpur Waterbird Census : वॉटरबर्ड जनगणना के लिए विशेषज्ञ टीम पहुंची, जानिए क्यों है ये सर्वेक्षण बेहद अहम?
जमशेदपुर में वॉटरबर्ड जनगणना के लिए वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया की टीम पहुंची। टाटा मोटर्स प्लांट के आस-पास आर्द्रभूमि पर जलपक्षियों की गणना। जानिए इस सर्वेक्षण का महत्व और रणनीति।
जमशेदपुर, 10 जनवरी: जलपक्षियों की गणना और संरक्षण के लिए वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया की एक विशेष टीम जमशेदपुर पहुंची है। इस बार वॉटरबर्ड जनगणना 2025 के तहत पूरे भारत में जलपक्षियों की विस्तृत गणना की जा रही है, जो 4 जनवरी से 19 जनवरी तक चलेगी।
यह जनगणना केवल पक्षियों की गिनती भर नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण नागरिक विज्ञान अभियान है, जिसे पहली बार 1987 में एशियन वॉटरबर्ड सेंसस (AWC) के रूप में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य जलपक्षियों की आबादी और उनके आवासों की निगरानी करना है, ताकि जैव विविधता और पारिस्थितिकी संतुलन को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
क्यों पहुंची विशेषज्ञ टीम जमशेदपुर?
इस वर्ष की वॉटरबर्ड जनगणना के लिए जमशेदपुर को चुने जाने का एक विशेष कारण है। जमशेदपुर टाटा मोटर्स प्लांट के 100 किलोमीटर के दायरे में स्थित आर्द्रभूमि (Wetlands) जैव विविधता के लिहाज से अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। यहां प्रवासी जलपक्षियों का आना-जाना होता है, जो वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र के लिए अहम भूमिका निभाते हैं।
वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया, टाटा मोटर्स लिमिटेड और सृष्टि कंजर्वेशन फाउंडेशन के संयुक्त प्रयासों से इस अभियान को और प्रभावी बनाया जा रहा है। इन संस्थानों का लक्ष्य आर्द्रभूमियों के बुद्धिमान उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देना है, ताकि मध्य एशियाई फ्लाईवे (Migratory Bird Pathway) पर स्थित महत्वपूर्ण जलक्षेत्रों का संरक्षण हो सके।
बैठक में क्या बनी रणनीति?
9 जनवरी को टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया के तकनीकी अधिकारी अर्घ्य चक्रवर्ती ने जनगणना की विस्तृत योजना प्रस्तुत की। उन्होंने प्रवासी जलपक्षियों के महत्वपूर्ण आवासों के विस्तृत मानचित्रण को साझा किया और बताया कि किस तरह से सर्वेक्षण में प्राथमिकता वाले वेटलैंड्स को चुना गया है।
जमशेदपुर में क्यों है ये सर्वेक्षण खास?
जमशेदपुर का टाटा मोटर्स प्लांट और उसके आस-पास का क्षेत्र कई वर्षों से प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा ठिकाना रहा है। यहां के जलाशयों और आर्द्रभूमियों में साइबेरियन क्रेन, ग्रे हेरेन और अन्य दुर्लभ प्रजातियों को देखा गया है।
इस बार की जनगणना में पक्षियों की संख्या, प्रजातियों की पहचान और उनके आवासों के संरक्षण को लेकर विशेष डेटा इकट्ठा किया जाएगा।
कौन-कौन लोग हुए शामिल?
बैठक में पक्षी प्रेमियों और संरक्षणवादियों का जबरदस्त उत्साह देखा गया। लगभग 15 प्रतिभागियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया, जिनमें चिकित्सक, संरक्षण विशेषज्ञ और पक्षी प्रेमी शामिल थे:
- डॉ. विजया भारत – हृदय रोग विशेषज्ञ
- डॉ. मिथिलेश दत्ता द्विवेदी – सेवानिवृत्त पेशेवर
- रमेश कुमार महतो – साँप विशेषज्ञ व संरक्षणवादी
- डॉ. शम्स परवेज खान – दंत चिकित्सक
वॉटरबर्ड जनगणना का इतिहास और महत्व
वॉटरबर्ड जनगणना का इतिहास 1987 से जुड़ा हुआ है, जब इसे पहली बार एशियन वॉटरबर्ड सेंसस के रूप में शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य जलपक्षियों की आबादी और उनके प्राकृतिक आवासों का अध्ययन और संरक्षण करना है।
संरक्षण क्यों है जरूरी?
आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये न केवल जलपक्षियों के आवास होते हैं, बल्कि जल शुद्धिकरण, मृदा संरक्षण और जैव विविधता को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
क्या होगी अगली रणनीति?
- डेटा संग्रह: सर्वेक्षण पूरा होने के बाद पक्षियों की संख्या, प्रजातियों और उनके निवास स्थानों का विस्तृत डेटा तैयार किया जाएगा।
- सार्वजनिक जागरूकता: स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों में वॉटरबर्ड संरक्षण पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
- नीतिगत सुधार: संरक्षण के लिए टाटा मोटर्स और अन्य स्थानीय संस्थानों के साथ मिलकर नीतिगत बदलावों पर चर्चा होगी।
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