Jamshedpur Training: किसान अब मोबाइल एप से कीट और बीमारियों की पहचान करेंगे, जानिए कैसे!
जमशेदपुर में किसानों को 'राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली' का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण के तहत किसानों को मोबाइल एप के माध्यम से कीट और बीमारियों की पहचान करने के तरीके सिखाए गए।
जमशेदपुर में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें जिले के प्रगतिशील किसानों और प्रसार कर्मियों को राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (NPSS) के तहत कीट और बीमारियों की पहचान और नियंत्रण के आधुनिक तरीके सिखाए गए। यह प्रशिक्षण भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत वनस्पति, संगरोध और संग्रह निदेशालय के तत्वावधान में केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, रांची द्वारा आयोजित किया गया था।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य और महत्त्व
यह प्रशिक्षण पूर्वी सिंहभूम जिले के आत्मा कार्यालय में आयोजित किया गया, जिसमें जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए प्रगतिशील किसान और कृषि प्रसार कर्मी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों में होने वाली कीट व्याधियों के बारे में जागरूक करना और इनकी पहचान करने के लिए मोबाइल एप का उपयोग सिखाना था। इस प्रशिक्षण में मुख्य रूप से किसानों को कीट नियंत्रण और निगरानी के लिए विभिन्न IPM (Integrated Pest Management) विधियों के बारे में बताया गया।
कीटों और बीमारियों का पता लगाने के लिए मोबाइल एप का उपयोग
केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, रांची के केंद्र प्रमुख और वनस्पति संरक्षण अधिकारी श्री अशोक कुमार एच. पी. ने कार्यक्रम में उपस्थित किसानों को फसलों में होने वाली कीट व्याधियों की पहचान करने के तरीके बताए। उन्होंने विशेष रूप से NPSS मोबाइल ऐप के महत्व पर जोर दिया और बताया कि किस प्रकार से यह ऐप किसानों को समय पर कीटों और बीमारियों की घटनाओं से अवगत कराता है।
कार्यक्रम में तकनीकी सहायक श्री नीतीश कुमार सुमन और श्री पूर्णेंद्र मिश्र ने भी किसानों को इस ऐप के उपयोग के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि जब किसान NPSS मोबाइल ऐप में कीटों और बीमारियों की घटनाओं की तस्वीर अपलोड करते हैं, तो यह ऐप उन्हें विशेषज्ञों द्वारा जारी सलाह और पूर्व चेतावनी देता है। इससे किसान अपने खेतों में कीट रोगों की निगरानी और नियंत्रण कर सकते हैं।
IPM विधियों का महत्व और उपयोग
इस प्रशिक्षण में किसानों को IPM विधियों से भी परिचित कराया गया, जिससे वे कीटों और बीमारियों के नियंत्रण के लिए रासायनिक उत्पादों का उपयोग कम से कम कर सकें। इन विधियों में जैविक कीटनाशकों का उपयोग, फसल चक्र, जैविक नियंत्रण आदि शामिल हैं। इसके अलावा, किसानों को मित्र कीटों की पहचान और उनके फायदों के बारे में भी बताया गया, जो खेती में प्राकृतिक रूप से कीटों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
प्रशिक्षण का फीडबैक और उम्मीदें
इस कार्यक्रम में पूर्वी सिंहभूम जिले के विभिन्न प्रखंडों से प्रगतिशील किसान और प्रसार कर्मी शामिल हुए, जिन्होंने प्रशिक्षण के बाद अपनी उम्मीदों और अनुभवों को साझा किया। किसानों का मानना है कि इस प्रकार के प्रशिक्षण से उन्हें अपनी फसलों में होने वाली समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलेगी और वे आधुनिक तकनीकों का बेहतर उपयोग कर सकेंगे।
किसानों के लिए भविष्य की दिशा
इस प्रकार के प्रशिक्षण से किसानों में जागरूकता बढ़ती है और उन्हें अपने खेतों में होने वाली समस्याओं का सही समय पर समाधान मिलता है। राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली के माध्यम से किसानों को तकनीकी सहायता मिलती है, जिससे वे अपने खेतों में होने वाली समस्याओं से पहले ही निपट सकते हैं और फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
इस कार्यक्रम के सफलतापूर्वक आयोजित होने से यह सुनिश्चित किया गया है कि अब जमशेदपुर और आस-पास के क्षेत्रों के किसान न केवल अपने खेतों में होने वाली कीट और बीमारी की समस्याओं का समाधान जान पाएंगे, बल्कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर अपने कृषि कार्य को और भी बेहतर बना सकेंगे।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जमशेदपुर जिले के किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है, जो उन्हें न केवल कीट और बीमारियों से बचने के तरीके सिखाता है, बल्कि उन्हें आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है। इससे किसानों को खेती में सुधार के साथ-साथ बेहतर उत्पादन प्राप्त करने की दिशा में सहायता मिलेगी।
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