Jamshedpur Meeting: आयुष्मान भारत योजना पर महत्वपूर्ण बैठक, अस्पतालों के इलाज और हेल्थ सेंटर की स्थिति पर चर्चा
जमशेदपुर में जिला शिकायत निवारण समिति की बैठक में आयुष्मान भारत योजना की समीक्षा की गई। जानिए अस्पतालों की समस्याएं, विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाओं पर चर्चा और हेल्थ सब सेंटर के बारे में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश!
जमशेदपुर में जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त श्री अनन्य मित्तल की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग के तहत जिला शिकायत निवारण समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज, अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, भुगतान प्रक्रिया और स्वास्थ्य सेवा की स्थिति की समीक्षा करना था। इस बैठक में विभिन्न निजी अस्पतालों और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जिन्होंने अपनी समस्याओं और सुधार के उपायों पर विस्तार से चर्चा की।
आयुष्मान भारत योजना: क्या है ये योजना?
आयुष्मान भारत योजना भारत सरकार की एक प्रमुख स्वास्थ्य योजना है, जिसका उद्देश्य गरीब और वंचित तबके के लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इस योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को मुफ्त इलाज और अस्पतालों में भर्ती होने की सुविधा मिलती है। योजना का लाभ लेने के लिए अस्पतालों को सरकारी मानकों के अनुसार दस्तावेज़ और प्रक्रिया पूरी करनी होती है, जिनमें कोई गड़बड़ी इलाज में देरी का कारण बन सकती है।
सभी अस्पतालों की इलाज की स्थिति पर चर्चा
बैठक में आठ निजी अस्पतालों और अनुमंडल अस्पताल घाटशिला एवं सीएचसी डुमरिया की आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज की स्थिति की गहन समीक्षा की गई। बैठक के दौरान अस्पतालों द्वारा गलत डाक्यूमेंट अपलोड किए जाने पर उठे सवालों पर चर्चा की गई। कुछ अस्पतालों के संचालकों ने इसे मानवीय भूल बताया और सुधार की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही। उपायुक्त ने सिविल सर्जन को निर्देश दिए कि डाक्यूमेंट की पुनः जांच की जाए और सही प्रक्रिया के तहत भुगतान की प्रक्रिया को जारी रखा जाए।
स्पेशलिस्ट डॉक्टर की सेवा में सुधार
बैठक में आयुष्मान भारत योजना से मिलने वाली राशि के उपयोग पर भी चर्चा की गई। उपायुक्त ने यह निर्देश दिए कि सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं बढ़ाई जाएं, ताकि मरीजों को रेफर नहीं करना पड़े। इसके लिए सभी अस्पतालों और सीएचसी को दो-दो विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं 15 जनवरी तक लेने के निर्देश दिए गए। इससे मरीजों को इलाज में बेहतर सुविधा मिलेगी और उन्हें दूरदराज के अस्पतालों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
हेल्थ सब सेंटर की स्थिति: अहम निर्देश
जिला दण्डाधिकारी ने हेल्थ सब सेंटर के संचालन पर भी गंभीर चिंता जताई। पंचायतों में कई बार यह देखा गया है कि सीएचओ (Community Health Officer) और एएनएम (Auxiliary Nurse Midwife) अनुपस्थित रहते हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में लोगों को इलाज में कठिनाई होती है। उपायुक्त ने सभी एमओआईसी (Medical Officer In Charge) को सख्त निर्देश दिए कि हेल्थ सब सेंटर में इन दोनों कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि हेल्थ सब सेंटर का उद्देश्य लोगों को प्राथमिक स्तर पर चिकित्सा सुविधा प्रदान करना है, और इसके लिए आवश्यक संसाधन और मानवबल का उचित उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने एमओआईसी से यह भी कहा कि अस्पतालों और हेल्थ सेंटर का रखरखाव बेहतर किया जाए, ताकि मरीजों को इलाज के साथ-साथ एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिल सके।
सुविधाओं पर जोर: अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति
इसके अलावा, उपायुक्त ने अस्पतालों के बुनियादी ढांचे को सुधारने की भी बात की। उन्होंने कहा कि इलाज के साथ-साथ मरीजों को स्वच्छता, पेयजल, शौचालय, रंग-रोगन और उपकरणों के उचित रखरखाव पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। इससे अस्पतालों में इलाज का वातावरण बेहतर बनेगा और मरीजों को संतोषजनक सेवा मिलेगी।
बैठक में शामिल लोग:
बैठक में सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल, डॉ रंजीत पांडा, सभी एमओआईसी और कई निजी अस्पतालों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इन अस्पतालों में गंगा मेमोरियल अस्पताल, मर्सी अस्पताल, सेंट जोसेफ अस्पताल, लक्ष्मी नर्सिंग होम, साईं पॉली क्लिनिक, एएसजी आई हॉस्पिटल और पूर्णिमा नेत्रालय शामिल थे। इन सभी ने अपनी समस्याओं और सुझावों पर चर्चा की, जिससे सरकार को स्वास्थ्य सेवा को सुधारने के लिए कुछ अहम दिशा-निर्देश मिले।
क्या होगा अगला कदम?
अब यह देखना है कि जिला दण्डाधिकारी द्वारा दिए गए निर्देशों का कितना असर होता है और हेल्थ सब सेंटर तथा अस्पतालों की स्थिति में कितनी जल्दी सुधार आता है। आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पतालों की सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं बिना किसी दिक्कत के मिल सकें।
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