Social Service: Blanket Distribution से ठंड में राहत, लोक समर्पण संस्था ने दिखाया मानवता का परिचय
जमशेदपुर में लोक समर्पण संस्था ने बिरसानगर क्षेत्र में सैकड़ों जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण कर ठंड से राहत दी। पढ़ें पूरी खबर।
लौहनगरी जमशेदपुर में ठंड का कहर बढ़ते ही समाजसेवा की मिसाल पेश करते हुए लोक समर्पण संस्था ने बिरसानगर क्षेत्र के सैकड़ों जरूरतमंदों को राहत पहुंचाई। संस्था के अध्यक्ष और युवा समाजसेवी ललित दास के नेतृत्व में रविवार को बिरसानगर स्थित 1बी हरि मंदिर माछपाड़ा में 500 से अधिक जरूरतमंदों के
बीच कंबल वितरित किए गए।
समर्पण और सेवा का प्रतीक बनी लोक समर्पण संस्था
इस ठंड में जरूरतमंदों की मदद के उद्देश्य से लोक समर्पण संस्था ने यह पहल की। कंबल वितरण कार्यक्रम के दौरान संस्था के अध्यक्ष ललित दास ने स्थानीय लोगों को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं और बताया कि संस्था जमशेदपुर और आसपास के इलाकों में लगातार सेवा कार्य कर रही है।
ललित दास ने कहा, "बढ़ती ठंड को देखते हुए हमारे युवा सदस्य लगातार जरूरतमंदों तक पहुंच रहे हैं और कंबल सेवा के माध्यम से उन्हें राहत देने का प्रयास कर रहे हैं। हमारा यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।"
जरूरतमंदों के चेहरे पर खुशी और आभार
कंबल पाकर स्थानीय लोगों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। उपस्थित जरूरतमंदों ने संस्था के इस प्रयास की सराहना की और संस्था के सदस्यों को अपना आशीर्वाद दिया।
कार्यक्रम में मौजूद रुनू यादव, कन्हाई दास, नंदिता, मनोज गोप, गौतम गोप, तापस दास, मनीष सिंह और साहिल शर्मा ने भी इस अभियान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
लोक समर्पण: सेवा की विरासत
लोक समर्पण संस्था का इतिहास सेवा और समर्पण से जुड़ा है। यह संस्था न केवल ठंड के दौरान बल्कि पूरे वर्ष समाज के वंचित वर्गों की मदद के लिए तत्पर रहती है। कंबल वितरण अभियान से पहले भी संस्था ने जरूरतमंदों के बीच खाद्य सामग्री, कपड़े और अन्य सहायता पहुंचाई है।
संस्था के सचिव नीरज कुमार, अभिषेक अग्रवाल, ज्ञान सिंह चौहान, रूपेश साहू, दीपक सिंह, रितेश दत्ता, सुभाष मुखी और गौरव कुमार जैसे समर्पित सदस्य इस सेवा अभियान का हिस्सा बने।
आगे की योजना
लोक समर्पण संस्था ने यह सुनिश्चित किया है कि ठंड के मौसम में किसी भी जरूरतमंद को कंबल के अभाव में ठंड का सामना न करना पड़े। संस्था का यह प्रयास आगे भी निरंतर जारी रहेगा।
इस अभियान से एक बार फिर यह साबित हुआ है कि जमशेदपुर की धरती न केवल लौहनगरी के नाम से जानी जाती है, बल्कि यह मानवता और समर्पण की मिसाल भी पेश करती है।
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