Jamshedpur Bail: छगनलाल ज्वेलर्स से रंगदारी मांगने वाले आरोपी को बेल, फायरिंग केस में भी राहत!
जमशेदपुर कोर्ट ने ज्वेलर्स से रंगदारी मांगने के आरोपी आलोक वर्मा और फायरिंग केस में अमन राज को जमानत दी। जानिए पूरा मामला।

जमशेदपुर में दो अलग-अलग चर्चित मामलों में कोर्ट ने आरोपियों को बड़ी राहत दी है। एडीजे-4 आनंदमणि त्रिपाठी के कोर्ट ने साकची के छगनलाल ज्वेलर्स से रंगदारी मांगने के मामले में जेल में बंद आरोपी आलोक वर्मा को जमानत दे दी है। वहीं, एडीजे-3 निशांत कुमार के कोर्ट ने बिष्टुपुर के पेब्को मोटर्स शो रूम में गोली चलाने के आरोपी अमन राज को भी संदेह का लाभ देते हुए बेल दे दी है। इन दोनों मामलों ने जमशेदपुर में कानून व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
रंगदारी मामले में कैसे फंसे आलोक वर्मा?
साल 2024 में साकची के प्रसिद्ध छगनलाल ज्वेलर्स से रंगदारी मांगी गई थी। इस केस में पहले से जेल में बंद आरोपी वीर सिंह ने पुलिस को दिए बयान में आलोक वर्मा का नाम लिया था। पुलिस ने इसी बयान के आधार पर आलोक वर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। हालांकि, अब कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें जमानत दे दी है।
पेब्को मोटर्स फायरिंग केस: संदेह का लाभ मिला
बिष्टुपुर थाना क्षेत्र में स्थित पेब्को मोटर्स के शोरूम में गोली चलाने की घटना ने काफी हड़कंप मचाया था। इस मामले में आरोपी अमन राज को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। खास बात यह है कि पुलिस को अमन के पास से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ था। जांच में भी कोई ठोस सबूत नहीं मिलने के कारण कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए अमन को जमानत पर रिहा कर दिया। बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएस दुबे ने पैरवी की।
जमशेदपुर में बढ़ते अपराधों पर सवाल
जमशेदपुर में बीते कुछ वर्षों में अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। खासतौर पर रंगदारी, लूट और फायरिंग की घटनाएं चिंता का विषय बन गई हैं। शहर में अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है, जिससे व्यवसायी और आम जनता डरे हुए हैं। पुलिस प्रशासन अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन बेल मिलने के बाद अपराधी फिर से सक्रिय हो सकते हैं।
क्या कहती है कानून व्यवस्था?
वकीलों का कहना है कि जमानत का मतलब यह नहीं होता कि आरोपी निर्दोष हैं, बल्कि इसका अर्थ यह है कि कोर्ट को फिलहाल उनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। अगर पुलिस दोबारा जांच में मजबूत सबूत पेश करती है, तो आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई संभव हो सकती है।
क्या अब भी खतरे में है शहर की सुरक्षा?
इन दोनों मामलों में जमानत मिलने के बाद लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या अपराधियों को पकड़ने के बाद भी कानून व्यवस्था उन्हें सजा दिलाने में सक्षम है या नहीं। जमशेदपुर में व्यापारियों और आम जनता को सुरक्षा देने के लिए प्रशासन को अब और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
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