“हो” भाषा को संविधान में शामिल करने की मांग, सैकड़ों लोगों ने सौंपा ज्ञापन
“हो” भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग के साथ सैकड़ों लोग जिला मुख्यालय पहुंचे और प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को ज्ञापन सौंपा।
सरायकेला: झारखंड के जनजातीय समुदायों में प्रमुख रूप से बोली जाने वाली "हो" भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग फिर से जोर पकड़ रही है। शुक्रवार, 6 सितंबर को इस पुरानी मांग को लेकर सरायकेला-खरसावां जिला परिषद अध्यक्ष और भाजपा नेता सोनाराम बोदरा के नेतृत्व में "हो" समुदाय के सैकड़ों लोग जिला मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा।
ज्ञापन में मुख्य रूप से "हो" भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई है। इस ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो आगामी 14 सितंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
सोनाराम बोदरा ने कहा कि केंद्र सरकारों ने अब तक "हो" भाषा को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वर्षों से यह मुद्दा अनदेखा किया गया है, चाहे केंद्र में कोई भी सरकार हो।
सोनाराम बोदरा हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के साथ भाजपा का दामन थामा था। उन्होंने कहा कि अब भाजपा के माध्यम से इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया जाएगा। साथ ही, उन्होंने भरोसा जताया कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री इस मांग को गंभीरता से लेंगे और जल्द ही "हो" भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की पहल करेंगे।
इस पूरे आंदोलन को लेकर "हो" समुदाय के लोग काफी उत्साहित हैं। उनकी यह पुरानी मांग वर्षों से लंबित है, जिसे लेकर अब वे दिल्ली में प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
What's Your Reaction?