ग़ज़ल  - रियाज खान गौहर ,भिलाई छत्तीसगढ़

ग़ज़ल  दिल के जो साफ हैं खुद्दार समझते हैं मुझे  उनसे शिकवा नहीं दिलदार समझते हैं मुझे 

Apr 21, 2025 - 11:03
Apr 21, 2025 - 11:37
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ग़ज़ल  - रियाज खान गौहर ,भिलाई छत्तीसगढ़
ग़ज़ल  - रियाज खान गौहर ,भिलाई छत्तीसगढ़

ग़ज़ल 

दिल के जो साफ हैं खुद्दार समझते हैं मुझे 
उनसे शिकवा नहीं दिलदार समझते हैं मुझे 

क्यों हमेशा ही वो बेकार समझते हैं मुझे 
ये लगा ही नहीं वो यार समझते हैं मुझे 

सोच हर ऐक की मिलती नहीं होती है ज़ुदा 
ये जो इस पार हैं उस पार समझते हैं मुझे 

ज़िन्दगी भर तो वफ़ादार रहा हूंँ लेकिन 
लोग क्यों आज भी गद्दार समझते हैं मुझे 

मैं तो इक फूल हूँ खुश्बू ही दिया करता हूंँ 
मुझको लगता है कि वो ख़ार समझते हैं मुझे 

साफ़ कहते नहीं मुझमें है खराबी क्या क्या 
वो हमेशा से ही बीमार समझते हैं मुझे 

मैं उन्हें भा गया ऐहसास हुआ है अक्सर 
लोग ऐसे भी हैं जो यार समझते हैं मुझे 

मुद्दतों से वो मुझे क्या नहीं कहते गौहर 
वो तो झूठों के तरफ़दार समझते हैं मुझे 

ग़ज़लकार 
रियाज खान गौहर ,भिलाई छत्तीसगढ़

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।