ग़ज़ल - 2 - शफ़ीक़ रायपुरी, बस्तर , छत्तीसगढ़

हमेशा  बैते - वफ़ा  का    तवाफ़  मैंने  किया  ख़ता   उधर   से  हुई  ,    एतिराफ़ मैंने किया......

Aug 23, 2024 - 15:30
Aug 23, 2024 - 15:40
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ग़ज़ल - 2 - शफ़ीक़ रायपुरी, बस्तर , छत्तीसगढ़
ग़ज़ल - 2 - शफ़ीक़ रायपुरी, बस्तर , छत्तीसगढ़

ग़ज़ल
 
हमेशा  बैते - वफ़ा  का    तवाफ़  मैंने  किया 
ख़ता   उधर   से  हुई  ,    एतिराफ़ मैंने किया

मिरा  ज़मीर   है   मुन्सिफ़    मुझे   सज़ा  देगा 
सदाक़तों   से   अगर   इन्हिराफ   मैं  ने किया

दिखा के लोगों को आईना क्या मिला मुझको 
तमाम  शहर  को  अपने   ख़िलाफ़  मैंने किया

सज़ा  न  दे  के  सबक़  दे  दिया सितमगर को 
ख़ुशी  की  बात   है  उसको   मुआफ़  मैंने किया

मिरा  मिज़ाज नहीं  हाँ  में  हाँ  मिलाने  का
ग़लत  थी  बात  तिरी   इख़्तिलाफ़  मैंने किया

मिरी ख़ुशी का वो क़ातिल था, बावजूद इसके 
"शफ़ीक़"' उसको भी दिल से मुआफ़ मैंने किया

शफ़ीक़ रायपुरी

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।