RIP Zakir Hussain :महान तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का निधन: संगीत की दुनिया में अपूरणीय क्षति
ज़ाकिर हुसैन, भारतीय तबले के महान कलाकार, का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जानें उनकी प्रेरणादायक यात्रा, महान योगदान और दुनिया भर से आई श्रद्धांजलियों के बारे में।
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महान तबला वादक ज़ाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन
भारत और संगीत की दुनिया ने आज एक अद्वितीय कलाकार को खो दिया। ज़ाकिर हुसैन, भारतीय तबला के महानतम वादकों में से एक, का 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे और उनका इलाज सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में चल रहा था। इस दुखद खबर की पुष्टि उनके प्रबंधक निर्मला बचानी ने की।
संगीत की लय का शिल्पी
मुंबई में जन्मे ज़ाकिर हुसैन, भारतीय तबला के दिग्गज उस्ताद अल्लाह रक्खा के सबसे बड़े बेटे थे। उन्होंने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए तबले को न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक मंच पर अद्वितीय ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
ज़ाकिर हुसैन की संगीत यात्रा अपने आप में प्रेरणादायक है। उन्होंने एक बार बताया था कि किस तरह उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति केवल 13 साल की उम्र में हासिल की। उनके पिता के नाम पर आए एक कॉन्सर्ट का निमंत्रण उन्होंने स्वयं जवाब देकर स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्होंने आयोजकों को यह नहीं बताया कि वह मात्र 13 वर्ष के हैं। उनकी इस प्रस्तुति ने उनके संगीत करियर की शुरुआत कर दी।
भारतीय संगीत को वैश्विक पहचान
ज़ाकिर हुसैन के तबले की लय ने भाषा, संस्कृति और पीढ़ियों की सीमाओं को पार कर दिया। उन्होंने न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत बल्कि फ्यूजन संगीत के क्षेत्र में भी महान कलाकारों के साथ काम किया। उनके सहयोगियों में सितार वादक पंडित रविशंकर, गिटारिस्ट जॉन मैकलॉफलिन, और महान गायक नुसरत फतेह अली खान जैसे नाम शामिल हैं।
2009 में, कार्नेगी हॉल में उनके प्रदर्शन पर न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा:
"ज़ाकिर हुसैन न केवल एक अद्वितीय तकनीशियन हैं, बल्कि एक कल्पनाशील कलाकार भी हैं, जो अपने संगीत से आनंद का अनुभव कराते हैं। उनके उंगलियों की गति हमिंगबर्ड के पंखों की लय को टक्कर देती है।"
उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
शोक में डूबा देश
ज़ाकिर हुसैन के निधन की खबर फैलते ही, देश-विदेश से श्रद्धांजलियां आने लगीं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा:
"यह देश के कला और संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।"
मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा:
"ज़ाकिर हुसैन जी का तबला एक ऐसी भाषा बोलता था जो सीमाओं, संस्कृतियों और पीढ़ियों को पार कर जाती थी।"
उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने ट्वीट किया:
"आज भारत की लय रुक गई।"
उन्होंने ज़ाकिर हुसैन और नुसरत फतेह अली खान के बीच एक प्रसिद्ध जुगलबंदी का वीडियो भी साझा किया।
ज़ाकिर हुसैन की विरासत
ज़ाकिर हुसैन का योगदान केवल संगीत तक सीमित नहीं था; वह भारतीय संस्कृति के एक अद्भुत दूत भी थे। उनकी तबला वादन शैली ने तबले को न केवल वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई, बल्कि इसे नई पीढ़ी के कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना दिया।
आज, जब संगीत की यह महान लयकार दुनिया को अलविदा कह चुका है, उनकी रचनाएं और उनका योगदान अनंत काल तक जीवित रहेंगे।
"ज़ाकिर हुसैन जी को हमारी श्रद्धांजलि। उनकी विरासत सदैव अमर रहेगी।"
The rhythm of India paused today…
In tribute.
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pic.twitter.com/eknPqw4uKM — anand mahindra (@anandmahindra) December 15, 2024
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