Delhi Shocking: स्कूल-कॉलेज के पास खुलेआम बिक रहा ‘सूखा नशा’, बच्चों का भविष्य खतरे में!

दिल्ली-NCR में स्कूल-कॉलेजों के पास खुलेआम बिक रहा ‘सूखा नशा’! किताबों की दुकानों पर मिल रहे खतरनाक केमिकल्स, बच्चे हो रहे शिकार। जानें पूरा सच!

Feb 23, 2025 - 17:54
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Delhi Shocking: स्कूल-कॉलेज के पास खुलेआम बिक रहा ‘सूखा नशा’, बच्चों का भविष्य खतरे में!
Delhi Shocking: स्कूल-कॉलेज के पास खुलेआम बिक रहा ‘सूखा नशा’, बच्चों का भविष्य खतरे में!

जहाँ किताबें बिकनी चाहिए, वहाँ मिल रहा नशा!

शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों, लाइब्रेरी और स्टेशनरी दुकानों पर अब किताबों की जगह नशे का कारोबार फल-फूल रहा है। दिल्ली-NCR और उत्तर भारत के कई शहरों में किशोरों के बीच ‘सूखे नशे’ (Dry Intoxicants) का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। गाजियाबाद के कालका गढ़ी इलाके में जब पुलिस ने छापा मारा, तो जो खुलासा हुआ, उसने सबको चौंका दिया—स्टेशनरी दुकानों पर खुलेआम नशे के लिए खतरनाक केमिकल बेचे जा रहे हैं!

क्या है यह ‘सूखा नशा’?

यह कोई पारंपरिक नशा नहीं है, जिसे पहचानना आसान हो। बल्कि, यह साधारण चीजों की आड़ में मिलने वाले केमिकल्स हैं, जैसे—
ओमनी केमिकल
फिलुड (Fevicol टाइप के चिपकाने वाले पदार्थ)
पंचर जोड़ने वाले सॉल्यूशन
अन्य वाष्पशील पदार्थ (Volatile Substances)

ये सभी केमिकल सस्ते और आसानी से उपलब्ध होते हैं, इसलिए किशोरों और बच्चों के लिए यह ‘Low Cost Drug’ बन गया है। वे इनका उपयोग रुमाल या कपड़े पर लगाकर सूंघते हैं, जिससे कुछ ही सेकंड में नशे का एहसास होता है।

बच्चों को बर्बाद कर रहा यह नया जहर!

10 से 18 साल तक के किशोर इस नशे की गिरफ्त में तेजी से आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह नशा—
दिमाग को सुन्न कर देता है और न्यूरॉन्स को नष्ट करता है
फेफड़ों और हार्ट पर सीधा असर डालता है
बच्चों को हिंसक, चिड़चिड़ा और अपराधी बना सकता है
लंबे समय तक इस्तेमाल करने से मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है

गाजियाबाद और दिल्ली-NCR में इस विषय पर शोध कर रहे समाजसेवी रविंद्र आर्य बताते हैं—
"यह सूखा नशा बच्चों को इतनी तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है कि वे इसे स्कूल बैग में छुपाकर ला रहे हैं। माता-पिता को इसकी भनक तक नहीं लग रही, और जब तक उन्हें पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।"

कैसे बढ़ रहा है यह खतरनाक ट्रेंड?

 यह नशा इतनी आसानी से मिल जाता है कि कोई भी इसे खरीद सकता है।
 स्कूल-कॉलेज के पास बनी स्टेशनरी दुकानों पर यह धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।
 बच्चों को इसके खतरों की जानकारी नहीं होती, और वे इसे ‘मस्ती’ समझकर ट्राय करने लगते हैं।
 एक बार लत लगने के बाद, वे चोरी और अन्य अपराधों में भी लिप्त हो सकते हैं।

समाज और कानून की भूमिका

इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन को कड़े कदम उठाने होंगे—
स्टेशनरी और पंचर की दुकानों पर इन केमिकल्स की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाई जाए
स्कूलों में ‘Anti-Drug Awareness Campaign’ चलाया जाए
अभिभावकों को बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखनी होगी
अगर कोई बच्चा अजीब व्यवहार करे, तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें

आप क्या कर सकते हैं?

यदि आपके आसपास कोई दुकान यह नशा बेच रही है, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।
बच्चों से खुलकर बात करें और उन्हें नशे के खतरों के बारे में जागरूक करें।
स्कूल और कॉलेजों को निगरानी बढ़ानी होगी ताकि इस तरह की घटनाएँ रोकी जा सकें।
समाज को जागरूक होना होगा, नहीं तो आने वाली पीढ़ी नशे के अंधकार में खो जाएगी!

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।