दिवाली पूजन की पूरी विधि और सामग्री - जानें लक्ष्मी-गणेश को प्रसन्न करने का सही तरीका
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा से धन, समृद्धि और खुशहाली आती है। जानें पूजन विधि, सामग्री और मंत्र ताकि आपकी दिवाली शुभता से भर जाए।
30 अक्टूबर 2024: दिवाली का पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी का आह्वान और पूजन करने से घर में सुख, समृद्धि और धन की वर्षा होती है। आइए जानें दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन की सामग्री, विधि और खास मंत्र।
पूजन का शुभ मुहूर्त और दिशा
दिवाली पूजन के लिए शुभ मुहूर्त के अनुसार ज्योतिषीय स्थिर लग्न जैसे वृष या सिंह लग्न में पूजा करना उत्तम माना गया है। पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें और शुद्ध वस्त्र पहनकर पूजन आरंभ करें। इस विधि से पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
दिवाली पूजन की सामग्री
दिवाली पूजन में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग होता है:
- देवी-देवताओं की प्रतिमाएं: लक्ष्मी, गणेश, हनुमान और कुबेर की प्रतिमाएं।
- पूजन के यंत्र: श्री यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र।
- पूजन सामग्री: अक्षत (साबुत चावल), पुष्प, पुष्पमाला, रोली, मोली, लौंग, पान, सुपारी, धूप, कपूर, अगरबत्ती, गुड़, धनिया, जौ, गेहूं, चन्दन, सिन्दूर।
- दीपक, रूई, प्रसाद, नारियल, पंचरत्न, यज्ञोपवीत, पंचामृत, गंगाजल, लाल वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश।
- अन्य वस्तुएं: घी, कमलपुष्प, कौड़ी, गोमती चक्र, कमलगट्टा, इलायची, चांदी के सिक्के, बहीखाता, कलम-दवात आदि।
दिवाली पूजन की विधि
पूजन की शुरुआत में लकड़ी की चौकी पर शुद्ध वस्त्र बिछाएं। चौकी पर भगवान गणेश को स्थापित करें, उनके दाहिने ओर लक्ष्मीजी को और बायीं ओर कुबेर जी को रखें। दुर्वा और गंगाजल से पूरे घर का शुद्धिकरण करें और दीप प्रज्वलित करें।
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आचमन: तीन बार आचमन करें। गंगाजल को दाहिने हाथ की अंगूठी या पवित्री में डालें और सभी पूजन सामग्री पर छिड़कें।
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संकल्प: प्राणायाम, न्यास, और आसन शुद्धि के बाद संकल्प लें। संकल्प में कहें - "मैं (अपना नाम), गोत्र, राज्य (अपने राज्य का नाम), स्थान (जहां आप रहते हैं) में देवी महालक्ष्मी और समस्त देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए लक्ष्मी पूजन कर रहा/रही हूँ।"
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गणेश पूजन: पूजा में सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा करें। मूर्ति के सामने स्वास्तिक बनाएं और उस पर सुपारी रखकर मौली बांधें। फिर गणेशजी का आह्वान करें और निम्नलिखित मंत्र बोलें:
"सिद्धि सदन गजवदनवर, प्रथम पूज्य गणराज।
प्रथम वन्दना आपको, सकल सुधारो काज।।" -
गणेश को अर्पण:
- तीन बार जल के छींटे दें, फिर पाद्य, अर्घ्य और आचमन के जल अर्पण करें।
- वस्त्र अर्पण करें, मौली बांधें और जनेऊ पहनाएं।
- रोली, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
- धूप और दीपक दिखाएं, मिष्ठान और ऋतुफल अर्पण करें।
- दक्षिणा अर्पण करें और नागरपान के रूप में पान-सुपारी चढ़ाएं।
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लक्ष्मी पूजन: गणेश पूजन के बाद मां लक्ष्मी का आह्वान करें और विधि पूर्वक उनका पूजन करें। लक्ष्मीजी का पूजन सभी सामग्री जैसे अक्षत, पुष्प, धूप, दीपक और मिठाई चढ़ाकर करें।
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कुबेर और हनुमान पूजन: लक्ष्मी पूजन के पश्चात धन के देवता कुबेर और हनुमान जी का पूजन भी करें। इनकी पूजा से धन और शक्ति की प्राप्ति होती है।
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दीपदान: अंत में घर के मुख्य दरवाजे पर दीये जलाएं। ऐसा माना जाता है कि दीपदान से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
पूजन के मंत्र
पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का उच्चारण करें। गणेश जी का आह्वान मंत्र:
“विघ्नहरण मंगलकरण, गौरीसुत गणराज।
मैं लियो आसरो आपको, पूरण करजो काज।।”
दीपावली के इस विशेष पर्व पर संपूर्ण विधि-विधान से पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-संपदा का वास होता है।
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