चलते चलते कुछ पंक्तियां यूं ही  - डॉ बीना सिंह रागी , छत्तीसगढ़

नफरत  को इस  कदर फैलाया जा  रहा  है  मजहब को  ही जरिया  बनाया जा  रहा है 

Oct 18, 2024 - 18:53
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चलते चलते कुछ पंक्तियां यूं ही  - डॉ बीना सिंह रागी , छत्तीसगढ़
चलते चलते कुछ पंक्तियां यूं ही  - डॉ बीना सिंह रागी , छत्तीसगढ़

चलते चलते कुछ पंक्तियां यूं ही 

नफरत  को इस  कदर फैलाया जा  रहा  है 
मजहब को  ही जरिया  बनाया जा  रहा है 

पोखरी  ताल तलैया  झरना  सूख से गए हैं
इंसानी  लहू  का  दरिया  बहाया जा रहा है 

और जिसने दोनों आंखों पे पट्टी बांध रखी है
वही आंख वालों को अंधा बताया जा रहा है

दिया तेल बाती  का  प्रचलन हुआ है खत्म 
दिवाली पे देखिए लड़िया सजाया जा रहा है 

जीते जी दाने निवाले के मोहताज रहे जो
रागी उनका कंधा देकर ले जाया जा रहा है

डॉ बीना सिंह रागी 
छत्तीसगढ़

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।